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नागालैंड में ‘जनजातीय गौरव दिवस 2023’ के अवसर पर निकला आदिवासी मार्च

Photo credit ANI

भगवान बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर आज के दिन यानी 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस के रुप में मनाया जाता है. जहां इस दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिरसा मुंडा के गांव पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

वहीं दूसरी तरफ देश के बाकी हिस्सों के साथ नागालेंड की राजधानी कोहिमा में जनजातीय गौरव दिवस धूमधाम से मनाया गया.

इस उत्सव की शुरुआत एक भव्य आदिवासी मार्च के साथ किया गया. जिसका उत्घाटन नागालैंड के उपमुख्यमंत्री टीआर ज़ेलियांग और जनजातीय मामलों और चुनाव के सलाहकार एच तोविहोतो अयेमी के द्वारा किया गया है.

यह आदिवासी मार्च कोहिमा कॉलेज से शुरू हुआ और नागालैंड विधान सभा गेट पर समाप्त हुआ है. इसमें विभिन्न जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सैकड़ों लोगों की उत्साही भागीदारी देखी गई.

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उप मुख्यमंत्री नागालैंड टीआर ज़ेलियांग ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस देश के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने और सम्मान करने के लिए मनाया जाने वाला दिन है.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस मनाने के लिए 15 नवंबर की तारीख को सही ढंग से चुना है. जो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती भी है. जो उनके लोगों द्वारा आदरणीय है.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि हालांकि हम स्वतंत्रता संग्राम में कई महान हस्तियों को याद करते हैं. लेकिन कुछ आदिवासी नेताओं को उनके योगदान के सम्मान में शायद ही कभी याद किया जाता है.

टीआर ज़ेलियांग ने कहां कि नागा समुदाय से ऐसी हस्तियां हो सकती हैं जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया इसलिए हमें ऐसा करना चाहिए, वापस ढूंढे, एक रिकॉर्ड रखें और उनके जीवन का जश्न मनाने के लिए एक दिन अलग रखा जाए.

उन्होंने यह भी कहा कि नागालैंड के सभी आदिवासियों, जिनमें 18 जनजातियां शामिल हैं. यह सब एक साथ मिलकर मार्च करने से, भागीदारी करने से और अधिक एकता आएगी. इसके साथ ही भविष्य में भी एकजुटता को और अधिक बनाए रखा जा सकेगा.

उन्होंने कहा है कि जनजातीय मार्च का आयोजन जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई), नागालैंड, जनजातीय कार्य विभाग द्वारा किया गया था और जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित किया गया था.

इसके साथ ही सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और राष्ट्रीय गौरव, वीरता और आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता देने के लिए हर साल ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाया जाता है.

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