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भारत-म्यांमार सीमा पर फ्री मूवमेंट बंद, आदिवासी संगठनों ने विरोध किया

भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की बेरोकटोक आवाजाही को बंद कर दिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच एफएमआर(Free Movement Regime) को रद्द कर दिया गया है.

मणिपुर (Manipur) के कई आदिवासी संगठन एफएमआर(FMR) पर केंद्र के फैसले का विरोध कर रहे हैं.

बुधवार को गृह मंत्रालय और मणिपुर आदिवासी संगठन के बीच मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग का उद्देश्य मणिपुर की मौजूदा स्थिति को समझना और उसका समाधान निकलना था.

उसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बहुत बड़ी घोषणा की थी. उन्होंने कहा है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सहित पूवोत्तर राज्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एफएमआर को खत्म किया जा रहा है.

जैसे ही इस फैसले की ख़बर मणिपुर के आदिवासी संगठनों तक पहुंची तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया.

एफएमआर के तहत भारत-म्यांमार सीमा पर रहने वाले लोग बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे से मिल सकते थे. इसके अलावा उन्हें एक- दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति भी होती थी.

आदिवासी संगठनों ने क्या कहा

ज़ोमी काउंसिल स्टीयरिंग कमेटी (ZCSC) के प्रवक्ता, रोज़ नगाइहते ने बताया की भारत-म्यांमार सीमा के दोनों तरफ आदिवासी परिवार रहते है, जो अक्सर शादी या अन्य पारिवारिक त्योहारों में एक- दूसरे को मिलने आते रहते है.

उन्होंने आगे कहा की एफएमआर के हटने से कई आदिवासी परिवार बट जाएंगे और ऐसा करके केंद्र सरकार सविधान के पूर्व नीति का विरोध कर रही है.

इसके अलावा यूनाइटेड ज़ू संगठन (यूजेडओ) के कानूनी सलाहकार जॉर्ज मुनलुओ ने भी यहीं कहा की सीमा पर लोगों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा. इस फैसले से विशेषकर वे लोग प्रभावित होंगे जो एक ही परिवार, एक ही आदिवासी, एक ही कबीले के हैं.

क्योंकि एफएमआर के हटने से वे एक-दूसरे से मिलने नहीं जा पाएंगे.

उन्होंने यह भी बताया की एफएमआर हटाना संयुक्त राष्ट्र घोषणा के अनुच्छेद 36 के ख़िलाफ़ होगा. इस अनुच्छेद के तहत सीमा के दोनों ओर एक ही परिवार वाले लोग आपपास में मिल सकते हैं

वहीं कुकी इनपी मणिपुर (केआईएम) के प्रवक्ता पाओटिंगथांग लुफेंग ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की लगता है सरकार ऐसा मणिपुर के बहुसंख्यक समुदाय के फायदे के लिए कर रही है.

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