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ईरोड: बस सेवा के अभाव में छात्र रोज़ स्कूल तक करते हैं 5 किमी की पैदल यात्रा

तमिल नाडु के ईरोड ज़िले की अंतियूर तालुक की पांच आदिवासी बस्तियों के छात्र हर रोज़ होसुर के सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल तक पहुंचने के लिए लगभग पांच किलोमीटर पैदल चलते हैं. इन बस्तियों से स्कूल तक कोई बस सेवा नहीं है.

TNSTC एक बस चलाती है, लेकिन यह स्कूल के समय से मेल नहीं खाती. गांव में 100 से ज़्यादा छात्र हैं और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं को डर है कि सार्वजनिक परिवहन की कमी इन छात्रों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर कर सकती है.

चिन्नासेन्गुलम के निवासी के सेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “कोइलनाथम, सेंगुलम, अलासोप्पनती, मोट्टाईपोडु, अघनिबावी बस्तियों के लगभग 100 छात्र होसुर स्कूल में पढ़ते हैं. सिर्फ एक सरकारी बस दिन में दो बार इन बस्तियों के लिए संचालित की जाती है, लेकिन स्कूल के समय के दौरान नहीं. यह सुबह 9.30 बजे गांव पहुंच जाते हैं.”

ऐसे में छात्र रोज़ पैदल ही स्कूल जाने को मजबूर हैं. इन बच्चों को घने जंगलों से गुजरते हैं जो शाम के समय खतरनाक साबित हो सकता है.

इसके अलावा रोज इतनी पैदल यात्रा करना छात्रों को थका देता है, और खासकर लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान काफी मुश्किल होती है. कार्यकर्ता चाहते हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग परिवहन की व्यवस्था करे, और छात्रों को उनकी पढ़ाई जारी रखने में मदद करे.

एक सामाजिक कार्यकर्ता सुदर एससी नटराज ने कहा, “इस शैक्षणिक वर्ष में अब तक तीन छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है क्योंकि वो रोज इतना नहीं चल सकते थे. कुछ माता-पिता बस की कमी का हवाला देते हुए लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं. भविष्य में स्कूल छोड़ने वालों को रोकने के लिए, छात्रों के लिए परिवहन की व्यवस्था की जानी चाहिए. स्कूल शिक्षा विभाग ने तंबुरेड्डी और ओन्नकराई बस्तियों के छात्रों के लिए परिवहन की व्यवस्था की है जो होसुर के पास हैं. मैंने स्कूल शिक्षा विभाग से दूसरी बस्तियों में भी इस सुविधा का विस्तार करने के लिए याचिका दायर की है.”

एक शिक्षक ने कहा कि कई छात्र, खासतौर पर लड़कियां, अक्सर छुट्टी लेती हैं और परीक्षा में खराब प्रदर्शन करती हैं. उनका कहना है कि परिवहन की कमी छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रही है. 

इसके अलावा, छात्रों को शाम को घर जाने में डर लगता है क्योंकि जंगली जानवरों से कोई सुरक्षा नहीं है.

ईरोड के समग्र शिक्षा सहायक परियोजना अधिकारी, जी राधाकृष्णन ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम छात्रों के लिए परिवहन देने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे, और अधिकारी जल्द स्कूल का निरीक्षण करेंगे.”

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