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केरल: आदिवासी छात्रों की मदद करता आदि शक्ति समर स्कूल

देशभर में लाख़ों आदिवासी बच्चे हैं जिनके सपने शायद बहुत बड़े हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वो पूरे नहीं हो पाते.

शहरी बच्चों की तरह ही इनके भी साइंटिस्ट, इंजीनियर, डॉक्टर या पुरातत्वविद् बनने के सपने हो सकते हैं. मगर इनके और इनके सपनों को बीच जानकारी के अभाव और डिजिटल डिवाइड की एक गहरी खाई है.

केरल के वायनाड ज़िले के मुंदरी में पनिया आदिवासी बस्ती की रहने वाली 21 साल की अखिता का सपना हमेशा से पुरातत्वविद् बनने का है. लेकिन अखिता को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए जो जानकारी चाहिए, वो उसके पास नहीं थी.

वो नहीं जानती थीं कि एक उपयुक्त प्रोग्राम खोजकर उसके लिए आवेदन कैसे दिया जाए. अखिता ने मदद के लिए आदि शक्ति समर स्कूल से संपर्क किया, और जानकारी के अभाव और डिजिटल डिवाइड को पीछे छोड़ अब अपने सपने की तरफ़ बढ़ रही हैं.

अखिता अब केरल विश्वविद्यालय से पुरातत्व में एम.ए. कर रही हैं. आदिवासी गोत्र महासभा (AGMS) द्वारा चलाए जाने वाले आदि शक्ति समर स्कूल का उद्देश्य आदिवासी-दलित छात्रों, विशेष रूप से स्कूल बीच में छोड़ने वाले छात्रों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है.

संगठन स्कूल छात्रों को उनके पसंदीदा कोर्स में एडमिशन दिलाने में मदद भी करता है. 2014 में स्थापना के बाद से अब तक यह संगठन 2,500 छात्रों की मदद कर चुका है.

ये छात्र केरल के अलग-अलग हिस्सों में बसे पनिया, अडिया, काट्टुनायका, कुरुम्बा, काडर, मुदुवान और वेडर आदिवासी समुदायों से आते हैं.

कैसे करता है मदद?

आदि शक्ति ने छात्रों को वित्तीय सहायता, होस्टल की सुविधा और मेंटरशिप दी है. पिछले सात सालों में किए गए इस संगठन के प्रयासों की काफ़ी सराहना भी की गई है. ट्राइबल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट ने हाल ही में इस संगठन के मॉडल पर आधारित “गोत्रप्रभा” परियोजना तैयार की है.

गोत्रप्रभा छात्रों के लिए ओरिएंटेशन क्लास आयोजित करती है, और उन आदिवासी छात्रों का डेटा इकट्ठा करती है जिन्होंने बारहवीं की पढ़ाई पूरी कर ली है. लेकिन परियोजना फ़िलहाल सिर्फ़ वायनाड ज़िले में ही लागू है.

कोर्स एडमिशन में COVID-19 महामारी की वजह से पैदा हुई मुश्किलों से निपटने के लिए आदि शक्ति समर स्कूल ने मई 2020 में एक हेल्पडेस्क शुरू किया. हेल्पडेस्क वॉलंटियर्स ने 1,000 से ज़्यादा छात्रों से संपर्क किया.

चुनौतियां

इस पहल में कई चुनौतियों भी सामने आईं. इसमें से एक थी दूरदराज़ के जंगलों और पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले छात्रों से संपर्क करना. कुछ छात्र सबजेक्ट विकल्पों को बताने में असमर्थ रहे, जिससे मुश्किल हुई.

महामारी की वजह से कई छात्रों को ट्रांस्फ़र सर्टिफ़िकेट और सामुदायिक सर्टिफ़िकेट मिलने में दिक्कत आई. पालक्काड ज़िले के अट्टपाड़ी के तीन छात्र महात्मा गांधी विश्वविद्यालय में एप्लिकेशन नहीं दे पाए क्योंकि उन्हें समय पर सामुदायिक सर्टिफ़िकेट नहीं मिले.

संगठन के लिए एक और बड़ी चुनौती रही वायनाड में आदिवासी छात्रों के लिए आरक्षित सीटों की कमी.

अब संगठन ने 2021-22 शैक्षणिक वर्ष (Academic Year) के लिए काम करना शुरू कर दिया है, और ज़रूरतमंद छात्र इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं: 7510458663 8075803118, 9061846926 और 9446425830.

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