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आदिवासी मतदाताओं के अधिकारों को अनदेखी, ग्रामीण करेंगे चुनाव का बहिष्कार

ओडिशा के अठागढ़ के भगुआ और ओरदा के आदिवासी मतदाताओं ने अपने गांवों में बूथ न होने से नाराज होकर आगामी पंचायत चुनावों का बहिष्कार करने का फ़ैसला किया है.

गांवों में 409 योग्य मतदाता हैं, जिन्हें गोबरा पंचायत में वोट डालने के लिए जंगल के रास्ते 15-18 किलोमीटर पैदल चलना होगा. कपिलाश रिजर्व फॉरेस्ट के पास स्थित, मुंडा आदिवासी समुदाय के 1,500 से ज़्यादा की आबादी वाले दोनों गांवों को 1953 में राजस्व गांव का दर्जा दिया गया था.

गांवों में सरकारी स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र और अच्छी सड़कें भी हैं. लेकिन बूथ की लगातार मांग के बावजूद, प्रशासन की उदासीनता की वजह से भगुआ के मतदाताओं को 15 किमी पैदल चलना पड़ता है, जबकि ओरदा के मतदाताओं को गोबरा पंचायत में अपना वोट डालने के लिए जंगल में 18 किमी पैदल चलना पड़ता है.

आदिवासी मतदाताओं को पहले अपने गांव से करीब 4 किमी दूर राधाकृष्णपुर ग्राम पंचायत को पार करना होता है और फिर जंगल से होकर वो गोबरा पहुंचते हैं.

अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का मतलब है, ग्रामीणों के लिए एक दिन की मजदूरी का नुकसान.

ग्रामीणों का कहना है कि हालांकि वे 2016 से अपने इलाकों में मतदान केंद्र स्थापित करने की मांग कर रहे हैं, प्रशासन ने बूथ आवंटित करते समय उनकी मुश्किलों को ध्यान में नहीं रखा है.

अठागढ़ सब-कलेक्टर के माध्यम से कलेक्टर को सौंपी याचिका में आदिवासी मतदाताओं ने अपने ही गांवों में मतदान केंद्र नहीं बनाने पर पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दी.

अठागढ़ के उप-कलेक्टर हेमंत कुमार स्वैन ने कहा कि भगुआ और ओरदा गांव में मतदान केंद्र बनाना फिलहाल संभव नहीं है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले चुनाव से पहले ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए जाएंगे.

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