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15 साल के इंतजार के बाद भी इस गांव के आदिवासियों को नहीं मिला पीने का पानी

बार-बार विरोध के बावजूद पनवेल तालुका के लादिवली गुलसुंडे ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है. ऐसे में ग्रामीण 11 अक्टूबर को बेलापुर में कोंकण कमिश्नर ऑफिस में एक और विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.

मई 2022 में पनवेल में डिविजनल ऑफिस के सामने कम से कम 3 राजस्व गांवों और चार आदिवासी गांवों में दूषित पानी की आपूर्ति के खिलाफ ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी महिलाएं अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे. वे मांग कर रहे थे कि उन्हें महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MIDC) से साफ पीने का पानी उपलब्ध कराया जाए.

उनके विरोध के बाद, स्थानीय प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया कि एमआईडीसी से पानी की आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी. लेकिन आज तक ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिला है.

पनवेल के बंधनवाड़ी के ग्राम संवर्धन सामाजिक संस्था के सामाजिक कार्यकर्ता संतोष ठाकुर ने कह, “विरोध को लेकर शुक्रवार 23 सितंबर को लादिवली के हनुमान मंदिर में हुई बैठक में एकतरफा निर्णय लिया गया.”

ठाकुर का कहना है कि करीब 12 हज़ार लोग पिछले 15 साल से पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “मैं पिछले एक साल से इस मुद्दे को देख रहा हूं, सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है और न ही वो इसे लेकर चिंतित है.”

उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों की सुस्ती ने उन्हें अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर किया. ठाकुर के मुताबिक, ट्रीटमेंट प्लांट खराब हो गया है और ग्रामीण पातालगनाग जलाशय का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

ठाकुर ने कहा, “लैब टेस्ट में पाया गया कि पानी का उपयोग पीने और खाना पकाने के लिए नहीं किया जा सकता है.”

इलाके में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मंजूरी के बावजूद करीब 12 हज़ार लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

वे लोग गुलसुंडे ग्राम पंचायत के दोषी सरपंच, ग्राम सेवक और जलापूर्ति अभियंता के खिलाफ दूषित पानी की आपूर्ति के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज करने की भी मांग कर रहे हैं. साथ ही जल जीवन मिशन के तहत गुलसुंडे ग्राम पंचायत के लिए 1.19 करोड़ रुपये की पानी की आपूर्ति का काम तत्काल शुरू किया जाए.

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