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छत्तीसगढ़ चुनाव और आदिवासी वोटर को साधने के गणित में उलझी पार्टियां

छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होगें. इसलिए सभी पार्टी आदिवासी वाटरों को खुश करने में लगी हैं. प्रदेश की दो प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस वाटरों को लुभाने के लिए एड़ी और चोटी का जोर लगा रही है.

यह माना जाता है कि राज्य की सत्ता में पहुंचने के लिए आदिवासी मतदाता का समर्थन बेहद ज़रूरी है. आइए जानते है आदिवासी वोट क्यों खास है?

क्या है आदिवासी वोट का समीकरण

छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2.94 करोड़ है. जिनमें आदिवासियों की जनसंख्या 78 लाख 22 हज़ार 902 है. यानि राज्य की कुल जनसंख्या का 30.62 प्रतिशत आदिवासी का है. अगर वोट बैंक की बात करें तो यहां बस्तर और सरगुजा में 34 फीसदी मतदाता आदिवासी है. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा पर पार्टीयों का खास नज़र है.

विधानसभा सीटें

छत्तीसगढ़ में कुल विधानसभा सीटें 90 है, जिसमें 39 सीट आरक्षित है. इसमें से 29 सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए रिज़र्व है और 10  सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. पिछले यानि (2018) विधानसभा चुनाव की बात करें तो 15 साल बाद कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी. यह कहना भी ग़लत नहीं होगा कि कांग्रेस की वापसी आदिवासियों के समर्थन से ही संभव हो सकी थी. क्योंकि आदिवासी इलाकों की 29 सीटें में से 27 सीटें पर कांग्रेस का दबदबा रहा था. वहीं भाजपा को दो 2 सीट ही मिली थीं.

 प्रमुख दलों में रहा है मुकाबला

छत्तीसगढ़ में 15 वर्ष तक सत्ताधारी बीजेपी की सरकार रही थी. लेकिन 2018 में बीजेपी हार गई और कांग्रेस की सरकार बनी थी. लेकिन 5 साल तक सत्ता से दूर रहने के बाद बीजेपी इस बार पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है. उधर कांग्रेस ने भी अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए जी जान लगा दी है.

छत्तीसगढ़ में नई राजनितिक पार्टी

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव पेचीदा और दिलचस्प होने वाला है. सालों से प्रमुख मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में ही रहा है. लेकिन इस बार के चुनाव में सर्वआदिवासी समाज और आम आदमी पार्टी भी शामिल होंगी.

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