ओडिशा के मलकानगिरी जिले में एक आदिवासी महिला की हत्या को लेकर दो समूहों के बीच झड़प के बाद माहौल तनावपूर्ण है. हज़ारों की संख्या में भीड़ ने MV-26 में अपना उत्पात जारी रखा और कई घरों को आग लगा दी और निवासियों को गाँव छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया.
बढ़ी हुई सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद स्थिति बेकाबू होने पर ज़िला प्रशासन ने MV-26 इलाके में कर्फ्यू लगा दिया.
प्रशासन ने सोमवार शाम 6 बजे से पूरे जिले में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं और दो गांवों में धारा 144 यानि निषेधाज्ञा लागू कर दी.
जिले में यह अशांति कोया जनजाति (Koya tribe) की एक महिला, लेक पदियामी (Lake Podami) की कथित हत्या के बाद भड़की थी. जिसका बिना सिर वाला शव पिछले गुरुवार को पोट्टेरू नदी में मिला था.
आदिवासी ग्रामीणों ने बंगाली निवासियों पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाते हुए रविवार को MV-26 बस्ती इलाके पर संगठित हमला किया.
वहीं पुलिस ने इस सिलसिले में सुभरंजन मंडल नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है.
खबरों के मुताबिक, धनुष-बाण, कुल्हाड़ी और भाले से लैस भीड़ ने गांव में भारी तबाही मचाई है. कई घरों को जला दिया है और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. जबकि अधिकारी नुकसान की हद पर चुप्पी साधे हुए हैं.
अधिकारियों के मुताबिक, सोमवार दोपहर को आदिवासियों के समर्थन में नारे लगाते हुए सैकड़ों लोग फिर से MV-26 में घुस गए और कई घरों और संपत्तियों को निशाना बनाया. बताया जा रहा है कि ये हमले पुलिस की मौजूदगी में भी हुए. आगे हिंसा के डर से घबराए हुए परिवार गांव छोड़कर भाग गए.
मलकानगिरी के SP विनोद पाटिल पूरे दिन मौके पर मौजूद थे, हालात पर नज़र रख रहे थे और स्थिति को कंट्रोल में लाने के लिए सिक्योरिटी डिप्लॉयमेंट को कोऑर्डिनेट कर रहे थे.
डीजीपी वाईबी खुरानिया और राज्य पुलिस के दूसरे सीनियर अधिकारी शाम को हालात का जायज़ा लेने और स्थिति को कंट्रोल में लाने की कोशिशों की निगरानी करने के लिए इलाके में पहुंचे.
उधर आदिवासी नेता बंधु मुदुली (Bandhu Muduli) ने बाहरी लोगों पर क्रिमिनल एक्टिविटीज़ में शामिल होने का आरोप लगाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि कई बंगाली बिना वैलिड डॉक्यूमेंट्स के गांव में रह रहे हैं और उन्होंने फिर से यह मांग दोहराई कि सिर्फ़ उन्हीं बाहरी लोगों को रहने दिया जाए जिनके पास सरकार द्वारा जारी ग्रीन कार्ड हैं.
बंधु ने आरोप लगाया कि लेक पदियामी की हत्या ज़मीन विवाद के कारण हुई.
आदिवासी नेता ने मांग की कि मृतक लेक पदियामी के कब्ज़े वाली ज़मीन आधिकारिक तौर पर उनके नाम पर दर्ज की जाए.
बंगालियों ने उच्च-स्तरीय जांच की मांग की
दूसरी ओर आस-पास के गांवों के बंगाली निवासियों ने अपने घरों और संपत्तियों को नष्ट करने के विरोध में और हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जिला कलेक्टर के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया.
कलेक्टर सोमेश कुमार उपाध्याय को सौंपे गए एक ज्ञापन में मलकानगिरी बंगाली समाज ने “प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा किए गए सोची-समझी साज़िश वाले हमले” की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की.
बंगाली समाज के अध्यक्ष गौरंगा कर्माकर ने कहा कि समुदाय ने इलाके में बढ़ रहे तनाव के बारे में प्रशासन को कई बार चेतावनी दी थी.
उन्होंने कहा, “पहले कामवाड़ा पंचायत में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी लेकिन हमने स्थिति को शांत करने के लिए कड़ी मेहनत की थी. इस बार, हिंसा ने सारी हदें पार कर दी हैं.”
बंगाली समाज ने प्रशासन से हिंसा भड़काने या उसमें शामिल सभी लोगों को 72 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने और कड़ी सज़ा सुनिश्चित करने की अपील की. उसने प्रभावित परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवज़े की भी मांग की, जिनके घर और संपत्ति नष्ट हो गए थे.
संगठन ने महिला की हत्या के मामले में हाई-लेवल जांच की भी मांग की.
मेमोरेंडम में कहा गया है, “हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि इस मामले को पूरी गंभीरता से ले और मलकानगिरी में शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए कदम उठाए.”
कलेक्टर सोमेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि शांति बनाए रखने और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए BNSS की धारा 163 के तहत कर्फ्यू लगाया गया है और इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं. हालात सामान्य करने के लिए कदम तेज़ कर दिए गए हैं.
उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों को खाना और सुरक्षा देने के लिए गांव में एक कम्युनिटी किचन और एक अस्थायी शेल्टर खोला गया है.
उन्होंने आगे कहा कि क्षतिग्रस्त घरों का आकलन किया जा रहा है और मूल्यांकन पूरा होने के बाद SRC दिशानिर्देशों के अनुसार राहत दी जाएगी.
इस बीच मृत महिला के लापता सिर को खोजने के लिए ODRAF और फायर सर्विसेज की टीमों को तैनात किया गया है. कलेक्टर ने बताया कि तलाशी अभियान में मदद के लिए नदी के किनारे कैमरे लगाए गए हैं.
आदिवासियों ने शोषण का लगाया आरोप
एक अलग याचिका में जिला आदिवासी समाज महासंघ ने आरोप लगाया कि 1978 से 1980 के बीच बड़ी संख्या में घुसपैठिये जिले में घुस आए थे. उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया और स्थानीय आदिवासियों का शोषण किया.
इसमें मांग की गई कि पुलिस हत्या के आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार करे और महिला का गायब सिर बरामद करे.
जिला आदिवासी समाज महासंघ, मलकानगिरी के बैनर तले आदिवासियों ने एक याचिका में अवैध घुसपैठियों और महिला की हत्या करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत सरकार ने 1964 में मलकानगिरी जिले के 215 गांवों और नवरंगपुर जिले के उमरकोट और रायगढ़ के 65 गांवों में प्रवासी बंगाली परिवारों को बसाया था. ये बंगाली पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए थे.

