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नीलगिरी की आदिवासी महिलाओं ने वनोपज की बिक्री के लिए सहकारी इकाई शुरू की

काट्टूनायकन समुदाय की आदिवासी महिलाओं के एक समूह ने वन उत्पादों को बिक्री के लिए तमिल नाडु के नीलगिरी जिले के गुडलूर में अपनी खुद की एक छोटी सहकारिता इकाई शुरू की है.

जिला राजस्व अधिकारियों ने इस साल जनवरी में नेलाकोट्टई में कोट्टायमडु के अच्छुथम मूल में नेलाकोट्टई काट्टूनायकन महिला कॉटेज इंडस्ट्री सहकारी इकाई का उद्घाटन किया.

इस आदिवासी समुदाय के पुरुष जंगल से शहद इकट्ठा करते हैं, और वो शहद समुदाय की महिलाएं उनसे खरीदती हैं.

वे चार तरह के शहद को उचित मूल्य पर बेच रहे हैं. सहकारी इकाई साग, रतालू, मसाले, जंगली आंवला, जंगली हल्दी, अदरक, और औषधीय जड़ी-बूटियों जैसे उत्पादों को बेचने की योजना भी बना रहे हैं.

यूनिट की अध्यक्ष विलंगूर की आर सुजाता ने कहा कि पूरी तरह से 21 लोग – 12 महिला सदस्य और नौ दूसरा योगदान देने वाले – यूनिट में काम कर रहे हैं. इनमें तीन गांवों – कोट्टायमडु, विलंगूर और नादुक्कडु के लोग शामिल हैं.

इकाई ने आदिवासी महिलाओं को एक अच्छी कमाई का जरिया दिया है, जिससे उनके परिवारों के लिए एक स्थायी आजीविका सुनिश्चित हो गई है.

नीलगिरी विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (एनपीवीटीजी) फेडरेशन की जिला समन्वयक, शोभा मदन के मुताबिक कट्टुनायकन समुदाय के लोग शहद इकट्ठा करने में माहिर हैं.

“पहले, हम निजी विक्रेताओं को लगभग 200 रुपये से 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से शहद बेचते थे। सहकारी इकाई स्थापित होने के बाद, महिलाओं ने पुरुषों से 600 रुपये प्रति किलो शहद खरीदा, और पैकेजिंग और लेबलिंग के बाद, उन्होंने इसे 1,000 रुपये प्रति किलो पर बेचा. उन्होंने महसूस किया कि उचित बिक्री के साथ इन छोटे उत्पादों से वो अच्छी कमाई कर सकते हैं,” शोभा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया.

आदिवासी महिलाओं ने सहकारी इकाई शुरू करने की योजना 2019 में बनाई थी, लेकिन लॉकडाउन ने पूरी प्रक्रिया में देरी कर दी. 2020 में, उन्होंने छोटे परीक्षण के रूप में शहद बेचा. उसके बाद यूनिट बनाई गई.

आदिवासी कार्यकर्ता ओडियन लक्ष्मणन ने कहा कि पहले आदिवासी लोग वन उपज को गैर सरकारी संगठनों या निजी फर्मों को कम दरों पर बेचते थे.

इस पहल से उनके बेचने के कौशल को विकसित करने में मदद मिल रही है.

जिला प्रशासन ने नीलगिरी में ईको-डेवलपमेंट कमेटी की दुकानों में यूनिट के उत्पादों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है.
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