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केरल: आदिवासी युवा अब हैं स्वास्थ्य वॉलंटियर

हल्का बुखार, सांप का काटना या कोई दूसरी बीमारी – इन स्थितियों में केरल के मलप्पुरम जिले के जंगलों में बसी आदिवासी कॉलोनियों के निवासियों को अब नजदीकी क्लिनिक पहुंचने के लिए परिवहन खोजने या सरकार की मोबाइल डिस्पेंसरी का इंतज़ार करने की जरूरत नहीं.

अब वो सीधा अपने समुदाय के स्वास्थ्य वॉलंटियर्स की मदद मांग सकते हैं. इन वॉलंटियर्स को ऐसी परिस्थितियों में बुनियादी चिकित्सा देने के लिए ट्रेनिंग दी गई है.

ये स्वास्थ्य वॉलंटियर्स बीमार लोगों की जांच के लिए डिजिटल थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर (बीपी) मशीन और पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग करेंगे, और फोन पर अपने निष्कर्षों को डॉक्टरों को बताएंगे जो आगे की कार्रवाई की सलाह देंगे.

चोलनायक्कर, काट्टूनायकन और पनिया जैसे आदिवासी समुदायों के निवासियों की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, कुडुम्बश्री ने सीपीआर, आग और बचाव जैसी बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा में वहां से चुनिंदा व्यक्तियों को ट्रेनिंग देने के लिए एक कार्यक्रम – ‘सुरक्षा’ – चलाया.

इसके अलावा वॉलंटियर्स को थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, बीपी मशीन और COVID रोकथाम किट जैसे उपकरणों का उपयोग करना भी सिखाया गया.

निलंबूर में सरकारी मोबाइल डिस्पेंसरी की चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वती सोमन, जिन्होंने ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया, ने पीटीआई को बताया कि इसके पीछे का उद्देश्य अस्पतालों तक की गैर-जरूरी यात्रा से बचना और आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाना भी है.

उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग के जरिए हर आदिवासी बस्ती में स्वास्थ्य वॉलंटियर्स की एक टीम बनाई जा रही है, जो बीपी, बुखार के स्तर, ऑक्सीजन के स्तर की जांच कर सकते हैं और इसे डॉक्टरों को रिले कर सकते हैं, जो आगे की कार्रवाई फोन पर बताएंगे.

उन्होंने कहा, “इससे अस्पतालों तक की फालतू यात्राओं से बचा जा सकेगा, आदिवासियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें सशक्त बनाया जाएगा.”

उनका मानना है कि यह पूरे देश में शायद अपनी तरह का पहला प्रोग्राम है.ट्रेनिंग प्रोग्राम का विचार तब आया जब किसी ने इन उपकरणों के साथ-साथ कुछ दूसरे चिकित्सा उपकरण, जैसे स्ट्रेचर, दान करने की पेशकश की.

मलप्पुरम जिले के मंजिरी, मुंडक्कडवु, वेत्तिलकोली, अंबुमला, पलक्कायम, उचक्कुलम, अलक्कल, पंचकोल्ली, चेम्बरा, इरुट्टुकुती, वानियमपुझा, तरिपापोट्टी और कुंबलप्पारा के वन क्षेत्रों में आदिवासी बस्तियों के लोगों ने ट्रेनिंग प्रोग्राम के पहले चरण में हिस्सा लिया.जिले में 200 से ज्यादा आदिवासी बस्तियां हैं, जिनमें भी जंगल के अंदर बसी बस्तियों को ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुना गया था.

उम्मीदवारों को जंगल के अंदर से जीपों में निलंबूर नगर पालिका हॉल लाया गया और 10 फरवरी को डॉ सोमन और अग्निशमन और सुरक्षा अधिकारी मुहम्मद हबीब रहमान द्वारा मलयालम और उनकी मातृभाषा में ट्रेनिंग दी गई.

कुडुम्बश्री की गोत्र सखी योजना इन इलाकों की आदिवासी आबादी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जुड़े तीन साल से ज्यादा के अनुभव का परिणाम है.

ट्रेनिंग के पहले चरण में जंगल के अंदरूनी इलाकों से 13 आदिवासी बस्तियों के लगभग 73 लोगों ने 35 आदिवासी एनिमेटरों के साथ भाग लिया.

उम्मीद की जा रही है कि यह 73 लोग अब अपनी बस्ती में आगे यह ट्रेनिंग देंगे. इसके अलावा को अपने नए ज्ञान का इस्तेमाल कर बीमारियों के बारे में जागरूकता पैदा कर सकते हैं.

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