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लाहौल स्पीति के आदिवासी इलाकों में कृषि पर्यटन का प्रयोग

हिमाचल प्रदेश के आदिवासी जिले लाहौल और स्पीति के कोलांग पंचायत के टीनो गाँव के युवा पैसा कमाने के लिए कृषि पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं. इस सिलसिले में ये आदिवासी पर्यटन क्षेत्र में नए नए प्रयोग कर रहे हैं. 

उन्होंने गैमूर गाँव में कृषि पर्यटन शुरू किया है जहां उन्होंने पर्यटकों के ठहरने के लिए शिविर लगाए हैं. वे आने वाले दिनों में पूरे जिले में इस मॉडल का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं.

पर्यटकों के ठहरने के दौरान उन्हें रसोई के उद्देश्य के लिए पास के खेत से जैविक सब्जियां जैसे कृषि उत्पाद इकट्ठा करने की अनुमति दी जाती है. इस पहल का मकसद उन्हें कृषि पर्यटन योजना के तहत कृषि उपज की कटाई और खुद खाना पकाने का पहला अनुभव देना है. इसी तरह बुवाई के मौसम में पर्यटकों को कृषि फसलों की बुवाई का अनुभव करने की अनुमति होगी. 

ये आदिवासी युवा लाहौल-स्पीति में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जैविक कृषि पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अपनी जमीन पर विदेशी सब्जियां उगाई हैं जो पूरी तरह से जैविक उत्पाद है.

अगले चरण में वे मिट्टी के घरों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए कैंपिंग साइट के पास मिनी हाइडल प्रोजेक्ट स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. ये मिट्टी के घर पर्यटकों के ठहरने के लिए बनाए जाएंगे.

टीनो गाँव के एक युवक ताशी अंगरूप ने मीडियी को बताया, “हम 20 युवाओं का एक समूह है जो कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. प्रयोग के तौर पर हमने कैमूर में कैंपिंग साइट स्थापित की हैं. हम पर्यटकों को बुवाई से लेकर कृषि उपज की कटाई तक का अनुभव लेने का अवसर दे रहे हैं चाहे वे किसी भी मौसम में आएं.”

एक दूसरे युवा तंज़िन अंगदी ने कहा, “इसके अलावा हम कुटीर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टीनो गाँव में मिट्टी के घर बनाने की योजना बना रहे हैं. हीटिंग और लाइटिंग के लिए बिजली की आपूर्ति की मांग को पूरा करने के लिए गाँव में दो मिनी जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी.”

कृषि-पर्यटन गतिविधियों की एक विस्तृत विविधता को शामिल करता है और किसानों को अपनी आय में विविधता लाने और पूरक करने के लिए एक साधन प्रदान करता है. इस तरह की गतिविधियों में वन्यजीव अध्ययन, घुड़सवारी, खाना पकाने की कक्षाएं, वाइन चखना, फसल उत्सव, खलिहान नृत्य, फार्म स्टे और पालतू चिड़ियाघर शामिल हैं.

 डिप्टी कमिश्नर नीरज कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन इस आदिवासी जिले में कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश करेगा. उन्होंने इन युवाओं के विचार की सराहना की.

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