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‘नहीं किया आदिवासियों ने वन अधिकारी पर हमला’

राज गोंड सेवा समिति के आसिफाबाद जिलाध्यक्ष कोमरम मंथैया ने आदिवासियों द्वारा फॉरेस्ट ऑफिसर पर हमले की खबर को झूठा करार दिया है.

कोमराम मंथैया ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को जंगल के किनारे के गांव से निकालने का आरोप लगा रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि वे वित्त मंत्री हरीश राव के पास शिकायत दर्ज कराएंगे, जो शुक्रवार को जिले का दौरा करने वाले हैं.

जिलाध्यक्ष ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि वन विभाग के अधिकारी वन सीमांत गांवों के आदिवासी निवासियों को जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए जंगल में घुसने नहीं दे रहे हैं.

उनका कहना है कि आदिवासियों के खिलाफ आरोप लगाना ठीक नहीं है. उन्होंने यह भी साफ किया कि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को निकालने का अधिकार किसी को नहीं है.

मामला दरअसल यह है कि तेलंगाना वन विभाग की एक कर्मचारी, जो आठ महीने की गर्भवती है, ने आरोप लगाया कि मंगलवार को कुमरम भीम आसिफाबाद जिले के कागजनगर वन रेंज के ऊटपल्ली के आदिवासी निवासियों ने उसपर हमला किया था.

वन बीट अधिकारी (एफबीओ) सिरीशा, जिसे पास के एक अस्पताल ले जाया गया था, ने आरोप लगाया कि उसे लाठियों से लैस महिलाओं के एक बड़े समूह से दूर भागने के लिए मजबूर किया था, क्योंकि वो उस पर हमला करना चाहते थे. भागते समय उसके हाथ पर वार किया गया.

अस्पताल से जारी एक वीडियो बयान में सिरीशा ने कहा है कि पहले भी स्थानीय निवासियों ने विरोध किया था, जब वन अधिकारी वन भूमि के ‘अतिक्रमण’ के बारे में उनसे बात करने गए थे.

1 मार्च को, सिरीशा ने कहा कि वह फिर से निवासियों से बात करने, उन्हें बाघों की आवाजाही के बारे में और जंगल के अंदर न जाने की चेतावनी देने ऊटपल्ली गई थी.

सिरीशा ने कहा कि जैसे ही निवासियों ने वन अधिकारियों को गाली देना शुरू किया, वह मदद लेने के लिए सरपंच के घर गई, जिन्होंने कथित तौर पर यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि निवासी उनकी सलाह नहीं लेंगे.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कागजनगर पुलिस ने आसिफाबाद के जिला वन अधिकारी की शिकायत के आधार पर ऊटपल्ली के निवासियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

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