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केरल: कोविड की दूसरी लहर में आदिवासी ज़्यादा प्रभावित, यूनिवर्सल वैक्सिनेशन पर है ज़ोर

केरल में 7.67 प्रतिशत जनरल आबादी को अब तक कोविड संक्रमण हुआ है, जबकि राज्य की आदिवासी आबादी में से सिर्फ़ 3.59 प्रतिशत को ही यह बीमारी हुई है. लेकिन इस 3.59 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा पिछले दो महीनों में संक्रमित हुआ है.

जनवरी 2021 के अंत तक लगभग 3,000 आदिवासियों को कोविड हुआ था, लेकिन 31 मई, 2021 तक यह आंकड़ा 17,401 तक पहुंच गया. केरल में 8,815 कोविड संबंधित मौतों में से 146 आदिवासियों की हैं. यह आंकड़ा जनवरी में 35 था.

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या 4.84 लाख है.

केरल के जनजातीय विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आदिवासी बस्तियों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध, इनमें जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों (Lifestyle Diseases) का कम प्रसार, और अलग-अलग विभागों द्वारा दिखाई गई सतर्कता ने इन समुदायों को कोविड की पहली लहर से काफ़ी हद तक बचाए रखा.

हाल के महीनों में बढ़े संक्रमण की वजह अवैध शराब की बिक्री, और विधानसभा चुनाव प्रचार को माना जा रहा है.

जनजातीय विभाग के अधिकारी मानते हैं कि हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान आदिवासी समुदाय आम आबादी के संपर्क में आ गए. यही वजह है कि आदिवासियों में दर्ज किए गए मामलों में से लगभग 80 प्रतिशत पिछले दो महीनों में हुए हैं. कुछ आदिवासी इलाक़ों में टेस्ट पॉज़िटिविटी रेट 50 प्रतिशत है.

हालांकि, राज्य के इकलौते आदिवासी ब्लॉक अट्टपाड़ी में स्थिति अलग है. यहां की 40 प्रतिशत आबादी आदिवासी है, और यहां कोविड संक्रमण जनरल आबादी के बीच ज़्यादा है. अट्टपाड़ी में दर्ज किए गए 2,259 मामलों में से 816 आदिवासियों में हैं, और इनके बीच अब तक सिर्फ़ 5 मौतें हुई हैं.

राज्य सरकार ने 18 साल की उम्र से ज़्यादा के सभी आदिवासियों को वैक्सीन लगाना शुरु कर दिया है. आम आबादी के बीच फ़िलहाल सिर्फ़ कोमॉर्बिडिटी वालों को ही वैक्सीन लग रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक़ 18 साल से ज़्यादा उम्र वाले 3 लाख आदिवासियों को फ़ौरन वैक्सीन लगाया जाना है. इन समूहों में कोविड प्रोटोकॉल लागू करने के बजाय इन्हें जल्द से जल्द वैक्सीन देना बेहतर है. राज्य में अब तक 74,000 आदिवासियों को वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी है.

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