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मध्य प्रदेश: अजनार नदी में रसायनिक प्रदूषण के ख़िलाफ़ सैकड़ों आदिवासी उतरे सड़क पर, आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की तो ख़ुद ही हो गए गिरफ़्तार

इंदौर के मानपुर इलाके में रविवार को सैकड़ों आदिवासियों ने अजनार नदी में अवैध तरीक़े से केमिकल बहाए जाने के खिलाफ़ धरना दिया. पुलिस ने 500 प्रदर्शनकारियों पर कोरोनावायरस प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज किया है.

जय आदिवासी युवा संगठन (JAYS) के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी पहले मानपुर के माली गांव पहुंचे और उसके बाद स्थानीय पुलिस स्टेशन जाकर विरोध प्रदर्शन किया.

मामला एक स्थानीय उद्योग द्वारा हानिकारक केमिकल नदी में बहाए जाने का है, जिससे पानी ज़हरीला हो गया था. इस संबंध में पुलिस के पास मामला भी दर्ज कराया गया है, हालांकि कोई ख़ास कार्रवाई नहीं हुई.

निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा नदी में रसायन छोड़ते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि प्रशासन और पुलिस दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने मानपुर एसएचओ के खिलाफ एसपी (पश्चिम) एमसी जैन से शिकायत की है कि वह कंपनी से जुड़े लोगों को बचाने की कोशिश कर रहा है.

कुछ हफ्ते पहले नदी के पानी में एक हानिकारक रसायन मिला था, जिससे कई मवेशियों की मौत हो गई थी. टेस्ट करने के बाद सामने आया कि पानी अब इस्तेमाल के लायक नहीं है.

इंदौर, खरगोन और धार ज़िलों के लगभग 50 गांवों के लोगों के लिए अजनार नदी पीने और सिंचाई के पानी दोनों का एक प्रमुख स्रोत है. इसे प्रदूषित करने का कोई भी प्रयास हज़ारों आदिवासी लोगों और उनके जानवरों के जीवन को प्रभावित करता है.

हालांकि, प्रशासन ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया. JAYS के राज्य प्रमुख अंतिम मुजाल्दा के नेतृत्व में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रविवार को प्रशासन की उदासीनता का विरोध किया, और तीन किलोमीटर तक पैदल मार्च निकाला.

प्रदर्शनकारियों के साथ मानपुर थाने में नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर भी थीं.

पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने मास्क नहीं लगाए थे, और उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए कोई मंजूरी नहीं दी गई थी. पुलिस ने क़रीब 500 लोगों पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

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