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राजस्थान: आदिवासियों ने बांसवाड़ा के बंजर पहाड़ी इलाके को हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया

राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले में 100 हेक्टेयर बंजर पहाड़ी क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए यहां के आदिवासी समुदाय के लोग लगभग 50 हज़ार पौधे लगाने का बड़ा अभियान चला रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि बारिश के इस मौसम के बाद ये पौधे फले फूलेंगे और आने वाले दिनों-वर्षों में इस इलाके का कायापलट हो जाएगा.

वन विभाग की मदद से बांसवाड़ा शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर बाबा देव खजूरी डूंगरा जंगल में तीन गांवों के 700 से अधिक निवासी अभियान चला रहे हैं. इसके तहत सागवान, बांस, खैर, बोर, रुद्राक्ष, काली करंज, नीम, देसी बबूल, अडूसा, आंवला, जामुन, अर्जूना, गड़ा पलाश, बरगद और पीपल सहित दर्जन से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जा रहे हैं.

डूंगरा वन प्रबंधन संरक्षण समिति के अध्यक्ष दलजी ने कहा, ‘‘काम लगभग पूरा हो चुका है. इससे न सिर्फ वन क्षेत्र बढ़ेगा बल्कि फल-फूल भी मिलेंगे और स्थानीय लोगों और उनके पशुओं की लकड़ी और चारे की समस्या भी खत्म होगी.’’

उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत खाइयों को खोदा गया है, जबकि पानी के संरक्षण और पौधों की सिंचाई के लिए चेक डैम और मिट्टी के बांध बनाए गए हैं. वन विभाग ने बारिश के पानी का संरक्षण करने वाले मिट्टी के बांध और खाइयां बनाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें लगाई हैं.

दलजी ने कहा कि समिति अगले पांच वर्षों तक पौधे की देखभाल करेगी और यदि उनमें से कुछ पौधे पनप नहीं पाते हैं तो उनकी जगह नए पौधे भी लगाए जाएंगे. इस साल जनवरी में वन विभाग ने आदिवासी लोगों को इस क्षेत्र में वनाच्छादित क्षेत्र बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया था.

गड्ढा खोदने में चार महीने से ज्यादा का समय लगा और जुलाई के अंत तक पौधरोपण अभियान पूरा कर लिया जाएगा.

वनपाल रमेश मईड़ा ने बताया, ‘‘गर्मियों के दौरान सूखी, बंजर, पथरीली पहाड़ियों पर काम करना ग्रामीणों और वन टीम के लिए मुश्किल भरा था. लेकिन ग्रामीणों ने इस क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत की है. 100 हेक्टेयर भूमि पर 50 हज़ार पौधे लगाए जा रहे हैं.’’

इस दौरान मजदूरों को छाया देने के लिए टेंट लगाए गए थे. श्रमिकों के लिए पीने के पानी को पहाड़ियों तक ले जाना बड़ी चुनौती थी लेकिन ग्रामीणों ने इस काम को पूरा किया.

बांसवाड़ा संभागीय वन संरक्षक जिग्नेश शर्मा ने कहा कि इस प्रयास से न सिर्फ इलाके में वन क्षेत्र बढ़ेगा बल्कि स्थानीय लोगों को जलाने के लिए लकड़ी और फल भी उपलब्ध हो सकेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘वनाच्छादित इलाका बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. यह बेहतर वातावरण और आजीविका के स्रोतों के अलावा ग्रामीणों को काम प्रदान करेगा.’’

(प्रतिकात्मक तस्वीर)

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