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‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग को लेकर 30 सितबंर को त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में बंद का ऐलान

ग्रेटर टिपरालैंड की मांग को लेकर 30 सितबंर को त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में बंद का ऐलान

त्रिपुरा (Tripura) के विपक्षी पार्टी टिपरा मोथा (TIPRA MOTHA) के संस्थापक प्रद्योत किशोर देबबर्मा (Pradyot Kishore Debbarma) ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग के लिए “प्रारंभिक संवैधानिक समाधान” के लिए कानूनी दबाव बनाने के लिए 30 सितंबर को अगरतला के आदिवासी इलाकों को 12 घंटे के लिए बंद कराने का ऐलान किया है.

दरअसल, शनिवार को देबबर्मा ने अपने समर्थकों से कहा था की हमें एक विशाल शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए. जंहा सभी आदिवासी एकजुट होकर आंदोलन करें और उसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचे. उन्होंने कहा था कि ये लड़ाई टिपरा मोथा, आईपीएफटी या किसी और की नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की है.

देबबर्मा ने कहा की केवल त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र नहीं बल्कि स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) क्षेत्र भी बंद रहेगा. साथ ही उन्होंने टिपरासा के लोगों को इसमें हिस्सा लेने के लिए अनुरोध किया है.

टिपरा मोथा द्वारा संचालित टीटीएएडीसी आदिवासी क्षेत्रों को नियंत्रित करता है, जिसमें राज्य का लगभग 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र शामिल है और लगभग 30 प्रतिशत आबादी रहती है.

देबबर्मा ने कहा त्रिपुरा एक छोटा राज्य है, केंद्र को कई चीजें की देखभाल करनी पड़ती है. हम अपने समुदाय के अस्तित्व के लिए केंद्र से जल्द से जल्द समाधान चाहते हैं.

जब पूछा गया कि टिपरा मोथा ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के बजाय केंद्र के किसी अन्य प्रस्ताव को स्वीकार करेगा?  तो उन्होंने कहा कि केंद्र को आधिकारिक तौर पर एक प्रस्ताव लाने दें. उसके बाद हम पार्टी नेताओं के बीच परामर्श के बाद निर्णय लेंगे.

उन्होंने कहा की मुझे विश्वास है कि केंद्र स्वदेशी लोगों के हितों के खिलाफ नहीं है. अगर केंद्र बोडो और दिमासा लोगों को संवैधानिक की गारंटी दे सकती है तो टिपरा को क्यों वंचित किया जाएगा.

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