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त्रिपुरा सरकार की CBSE परीक्षा कोकबोरोक भाषा में लिखने की मांग

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को पत्र लिखकर छात्रों को रोमन लिपि में कोकबोरोक भाषा की परीक्षा देने की अनुमति के लिए आग्रह करेगी.

साहा ने विधानसभा में शून्यकाल के दौरान राज्य की प्रमुख आदिवासी भाषा कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि की शुरूआत पर सरकार के रुख की विपक्ष के नेता अनिमेष देबबर्मा की मांग का जवाब देते हुए यह आश्वासन दिया.

वर्तमान में राज्य सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में बंगाली लिपि में कोकबोरोक की पढ़ाई होती है. इनमें 97 विद्याज्योति स्कूल भी शामिल हैं, जिनमें सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू किया गया है.

देबबर्मा ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 5,000 छात्रों को सीबीएसई परीक्षाओं में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने बंगाली लिपि नहीं सीखी है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने कोकबोरोक के लिए लिपि के चयन के मामले पर गौर करने के लिए पूर्व विधायक अतुल देबबर्मा के नेतृत्व में पहले ही तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है. शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के पास है.

उन्होंने कहा, ‘‘समिति को अपने निष्कर्ष सौंपने दीजिए फिर हम कोकबोरोक की लिपि पर निर्णय लेंगे.’’

उन्होंने कहा कि राज्य में रोमन लिपि में पुस्तकों के साथ-साथ प्रश्न तैयार करने और उत्तरों का मूल्यांकन करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की भी कमी है.

मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के नेता ने कहा कि सीबीएसई तब तक इंतजार नहीं करेगी, जब तक कि समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती. सीबीएसई की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होने वाली हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मैं मुख्यमंत्री से कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि की अनुमति की खातिर सीबीएसई को पत्र लिखने का आग्रह करता हूं.’’

इसके बाद साहा ने विधानसभा को आश्वासन दिया कि सरकार सीबीएसई को पत्र लिखकर कोकबोरोक के छात्रों को रोमन लिपि में अपने उत्तर लिखने की अनुमति देने का अनुरोध करेगी.

पूर्वोत्तर राज्य की अधिकांश जनजातियों की मातृभाषा कोकबोरोक की अपनी लिपि नहीं है.

कोकबोरोक त्रिपुरा के मूल निवासियों की भाषा है, जो राज्य की लगभग एक-तिहाई आबादी द्वारा बोली जाती है. त्रिपुरा के लोगों के लिए इसके सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व को कम करके आंका नहीं जा सकता. कोकबोरोक के लिए रोमन लिपि की मांग बढ़ती डिजिटल और परस्पर जुड़ी दुनिया में इसके अस्तित्व और पहुंच को सुनिश्चित करने की आवश्यकता से उपजी है.

(Image credit: PTI)

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