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त्रिपुरा ने मिजोरम से विस्थापित हुए 37 हज़ार से अधिक आदिवासियों का पुनर्वास किया

मिजोरम से विस्थापित रियांग आदिवासियों को त्रिपुरा सरकार अपने राज्य में पुनर्वास कर रही है. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि राज्य सरकार अब पड़ोसी मिजोरम से विस्थापित 37,136 रियांग आदिवासियों का आर्थिक रूप से पुनर्वास कर रही है और इसके लिए केंद्र ने 600 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है.

दरअसल 1997 में जातीय समस्याओं के बाद अपने गृह राज्य से भागने के बाद महिलाओं और बच्चों सहित रियांग आदिवासियों ने त्रिपुरा में शरण ली थी.

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर असम राइफल्स मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगरतला (भारत)-अकाहुरा (बांग्लादेश) रेलवे लाइन का काम चल रहा है और अगले साल जून तक भारतीय क्षेत्र में काम पूरा किया जाएगा.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (Northeast Frontier Railways) अब 967.5 करोड़ रुपये की लागत से 12.03 किलोमीटर लंबी नई अगरतला-अकाहुरा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के लिए ट्रैक बिछा रहा है.

उन्होंने कहा कि दक्षिणी त्रिपुरा के सबरूम में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किया जा रहा है और यह चटगांव अंतरराष्ट्रीय समुद्री बंदरगाह का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा और निजी निवेश को आकर्षित करेगा. चटगांव बंदरगाह सबरूम से सिर्फ 72 किमी दूर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए त्रिपुरा राज्य महिला सशक्तिकरण नीति-2022 शुरू की गई है और महिलाओं के सशक्तिकरण और कल्याण के लिए कई योजनाओं की घोषणा की गई है.

गृह मंत्रालय भी संभाल रहे माणिक साहा ने कहा कि कानून-व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन के लिए उनकी सरकार ने राज्य भर में 400 सीसीटीवी लगाने, त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) की दो और बटालियन बनाने और उनकी नियुक्ति सहित कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि छात्रों को ड्रोन तकनीक पर प्रशिक्षित करने के लिए त्रिपुरा प्रौद्योगिकी संस्थान में एक केंद्र स्थापित किया गया है.

ब्लड डोनेशन कैम्प, स्पोर्टस मीट, विकासात्मक पहलुओं पर प्रदर्शनियां, बाइक और साइकिल रैलियों, विभिन्न अन्य प्रतियोगिताओं सहित सैकड़ों कार्यक्रमों के माध्यम से पूरे त्रिपुरा में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया.

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