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त्रिपुरा: 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी टिपरा मोथा, गैर आदिवासियों को भी मिलेगा टिकट

त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई है. टिपरा मोथा पार्टी ने रविवार को राज्य में टिपरा नागरिक संघ मंच का शुभारंभ किया.

टिपरा मोथा ने घोषणा करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक क्षेत्रीय आदिवासी पार्टी नहीं है, बल्कि ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के लिए एक आंदोलन है. पार्टी ने कहा कि वह गैर-आदिवासी आबादी, विशेष रूप से पिछड़े समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को भी संबोधित करना चाहती है.

पूर्व विधायक तापस डे की अध्यक्षता में फेडरेशन ने कहा कि यह मोथा के उच्चतम स्तर के निर्णय लेने में समाज के सभी वर्गों के लोगों का प्रतिनिधित्व करने, शामिल करने और उनकी भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए काम करेगा.

राजधानी अगरतला में पत्रकारों से बात करते हुए, टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी ने इस साल हुए सूरमा विधानसभा उपचुनाव में एक गैर-आदिवासी उम्मीदवार को मैदान में उतारा था. साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी पिछड़े समुदायों, मुस्लिमों, चाय बागान कार्यकर्ताओं सहित कई गैर-आदिवासी उम्मीदवारों को भी नामांकित करेगी.

बता दें, टिपरा मोथा पार्टी.. ग्रेटर टिपरालैंड की मांग कर रही है, जो कि आदिवासियों के लिए एक प्रस्तावित अलग राज्य है. ये पार्टी ज्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में खासकर अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के लिए आरक्षित 20 विधानसभा सीटों पर सक्रिय है.

अपनी पार्टी के रुख को स्पष्ट करते हुए, प्रद्योत किशोर ने कहा, “टिपरा मोथा कभी भी एक क्षेत्रीय पार्टी नहीं थी … हम हर पिछड़े समुदाय के लोगों को मौका देंगे जो एक संवैधानिक समाधान चाहते हैं. हम एक नया दृष्टिकोण लाना चाहते हैं. जिन लोगों ने अपने समुदाय के साथ विश्वासघात किया और अपने समुदायों को पिछड़ा रखा, उन्हें अगले चुनाव में झटका लगेगा.”

उन्होंने साफ किया कि पार्टी इस विधानसभा चुनाव में ST के लिए आरक्षित 20 सीटों पर ही नहीं बल्कि 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. देबबर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी अपने दम पर 30 से अधिक सीटें जीतने की कोशिश करेगी. यानी कि वे 60 सदस्यीय सदन में बहुमत हासिल करना चाहते है.

प्रद्योत किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी ग्रेटर तिप्रालैंड (जीटी) पर “स्पष्ट समझौते” के बिना कोई गठबंधन नहीं करेगी. उन्होंने कहा, “हम GT और संवैधानिक समाधानों की मांग पर अपने लोगों के साथ विश्वासघात नहीं करेंगे. बिना किसी स्पष्ट समझौते के.. हम किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करेंगे. हम अपने दम पर 30 से अधिक सीटें जीतने की कोशिश करेंगे और सरकार बनाएंगे.”

बता दें, त्रिपुरा में कुछ महीने बाद ही विधान सभा के चुनाव होने हैं. राज्य में कुल 60 विधान सभा सीटें हैं और इनमें से 20 सीटें आदिवासियों के लिए रिज़र्व हैं. चुनाव से पहले राज्य में अलग टिपरालैंड की मांग तेज हो गई है. दिसंबर के पहले हफ्ते में ही त्रिपुरा के हजारों आदिवासियों ने दिल्ली कूच किया था. दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का नेतृत्व त्रिपुरा राजपरिवार के मुखिया और टिपरा मोथा के अध्यक्ष प्रद्योत माणिक्य देबबर्मन कर रहे थे.

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