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त्रिपुरा के आदिवासियों ने अलग राज्य की मांग को लेकर दिल्ली में अमित शाह से मिलने के लिए किया प्रदर्शन

बड़ी संख्या में महिलाओं सहित त्रिपुरा के लगभग 1,500 आदिवासियों ने संवैधानिक मान्यता के साथ आदिवासियों के लिए अधिक स्वायत्तता की अपनी मांग को तेज करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया.

मंगलवार से शुरू हुए धरने प्रदर्शन का नेतृत्व त्रिपुरा के शाही परिवार के वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मन कर रहे हैं और इसमें उनकी पार्टी तिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (TIPRA) के सदस्य शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि वे अपनी मांग के समर्थन में विभिन्न कार्यक्रम और शांतिपूर्ण आंदोलन आयोजित करना जारी रखेंगे.

जनजातीय आधारित पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTADC) को संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत “ग्रेटर टिपरालैंड राज्य” के रूप में अपग्रेड करने की मांग की गई है ताकि आदिवासियों की जनसांख्यिकी और अधिकारों की सुरक्षा की जा सके.  त्रिपुरा की 40 लाख की आबादी में आदिवासी एक तिहाई हैं.

संविधान की छठी अनुसूची के तहत 1985 में गठित टीटीएएडीसी के पास विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं और यह त्रिपुरा के 60 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग 20 को कवर करती है.

वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी के मुश्किल में होने के कारण तिपरा त्रिपुरा में सबसे शक्तिशाली विपक्षी दलों में से एक के रूप में उभरा है, जहां विधानसभा चुनाव लगभग दो महीने दूर हैं.

टीआईपीआरए ने आदिवासियों के लिए अधिक स्वायत्तता और राजनीतिक शक्ति की मांग करते हुए पिछले साल से ‘ग्रेटर टिप्रालैंड’ के लिए आवाज़ उठाई है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि टिपरा अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.

नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन का उद्देश्य आदिवासियों की मांगों के प्रति केंद्र सरकार और राजनीतिक स्पेक्ट्रम के प्रमुख नेताओं का ध्यान आकर्षित करना है.

देबबर्मन ने संवाददाताओं से कहा, “हम किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं. हम पिछड़े और गरीब आदिवासियों के लिए न्याय और अधिक शक्ति चाहते हैं. हमने पिछले साल नवंबर में भी दिल्ली में इसी तरह का दो दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया था.”

उन्होंने कहा कि इस बार भी उनकी पार्टी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन सौंपेगी, जिसमें ‘ग्रेटर तिप्रालैंड’ की मांग की जाएगी. साथ ही कहा कि त्रिपुरा में आदिवासियों को 70 साल से वंचित रखा गया है. त्रिपुरा के एडीसी क्षेत्र में कोई स्कूल, सड़क या पीने के पानी की सुविधा विकसित नहीं की गई थी.

देबबर्मन ने कहा, ”बाबासाहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि पर हमने स्थायी संवैधानिक समाधान की अपनी मांग दोहराई. हमें विश्वास है कि बहुत जल्द सरकार भारत को उनकी दृष्टि का अक्षरश: पालन करने और ग्रेटर टिप्रालैंड के लिए हमारी मांग को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.”

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