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पुणे: आदिवासी आश्रम स्कूलों के दो लाख से अधिक बच्चों को अभी तक नहीं मिली यूनिफॉर्म

नए शैक्षणिक सत्र को छह महीने बीतने वाले हैं लेकिन अब तक महाराष्ट्र (Maharashtra) के आदिवासी आश्रम स्कूलों (tribal ashram schools) के दो लाख से अधिक बच्चे बुनियादी जरूरतों से वंचित है.

इन बुनियादी जरूरतों में बच्चों के स्कूल की यूनिफॉर्म, जूतें, रात में पहनने के लिए कपड़े इत्यादि शामिल है.

स्कूल के बच्चों की बुनियादी जरूरते पूरी न होने के दो मुख्य कारण सामने आए है. पहला राज्य सरकार का सभी सामान को जनजातीय ज़िला स्तर पर खरीदने का फैसला और दूसरा आदिवासी विकास मंत्रालय द्वारा इस मामले में खास दिलचस्पी न दिखाना शामिल है.

इन्हीं कारणों से दो लाख से अधिक बच्चों को इस ठंड में बिना स्वेटर के स्कूल जाना पड़ रहा है.

ये भी पता चला है की पहले लगभग 499 आदिवासी आश्रम स्कूल के बच्चों को घटिया गुणवत्ता वाली वस्तुएं दी गई थी.

इसे रोकते हुए फिर जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए छात्र-छात्राओं के बैंक खातों में तय धनराशि दी जाने लगी.
हालांकि 31 जुलाई को राज्य सरकार ने आदिवासी जन प्रतिनिधियों की शिकायतों के कारण यूनिफॉर्म, नाइट ड्रेस, स्कूल सामग्री को ‘डीबीटी’ योजना से बाहर करने का फैसला किया.

सरकार द्वारा ये दावा किया गया कि पैसे मिलने के बाद भी स्कूल के बच्चे जरूरी सामान नहीं खरीद पा रहे थे.
इस बारे में आदिवासी समुदाय के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, सीताराम जोशी ने कहा, “दिलचस्प बात यह है कि 1,200 रुपये का गद्दा 5,600 रुपये में टैंडर के द्वारा खरीदा गया था और वो भी बेहद खराब गुणवत्ता का था.

चादरें, फर्श के गद्दे, तकिए और कवर आदिवासी विकास विभाग द्वारा दिए जाते हैं. हालांकि राज्य ने 2016 में खरीद नीति बनाई थी लेकिन आदिवासी विकास विभाग द्वारा इसे नजरअंदाज किया जा रहा है.

हमने मांग की है कि खरीद नीति को लागू किया जाए ताकि आश्रम स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जल्द से जल्द जरूरतमंद वस्तुएं दी जा सकें.”

इसी सिलसिले में कोहिन्दे आश्रम स्कूल के प्रिंसिपल गणेश गावड़े ने बताया की सरकार द्वारा कक्षा I से IV तक के छात्रों के लिए 7,500 रुपये, कक्षा V से VIII के लिए 8,500 रुपये और कक्षा IX से XII के लिए 9,500 रुपये डीबीआई योजना के तहत तय किए गए है.

इस शैक्षणिक वर्ष में किताबों और नोटबुक के लिए स्कूल के हर बच्चें को 4,000 रुपये की पहली किश्त जुलाई में दी जा चुकी है.

लेकिन दूसरी किश्त जमा नहीं की गई है क्योंकि प्रशासन द्वारा ये दावा किया जा रहा है की दूसरी किश्त के पैसे का उपयोग यूनिफॉर्म, नाइट ड्रेस और जूते खरीदने में किया जाएगा.

स्कूल को आदिवासी विकास विभाग द्वारा सूचित किया गया कि स्कूल यूनिफॉर्म की खरीद और आवंटन राज्य सरकार के स्तर पर होगा.

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