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राजस्थान: आदिवासी लड़की के गैंगरेप और हत्या के मामले में दो को मौत की सजा

राजस्थान के बूंदी जिले की एक POCSO अदालत ने पिछले साल दिसंबर में जिले में 15 साल की एक आदिवासी लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप) और हत्या के दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है.

गुरुवार को दोनों को अपराधी ठहराने के बाद कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें मौत की सजा सुनाई.

तीसरे आरोपी, जो नाबालिग है, के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में मुकदमा चल रहा है. अदालत ने दोनों दोषियों में से हर एक पर 1,20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

अपराध किए जाने के बाद से कुल 126 दिनों में से सिर्फ 11 कार्य दिनों में ही फैसला सुना दिया गया.

23 दिसंबर 2021 को बूंदी जिले के बसोली के कलाकुंवा गांव के पास एक जंगल में एक 15 साल की आदिवासी लड़की की गर्दन, सिर पर चोट और काटने के निशान के साथ खून से लथपथ नंगा शरीर मिला था.

इसके बाद, बूंदी के एसपी जय यादव के नेतृत्व में कम से कम 200 पुलिस कर्मियों ने तलाशी अभियान चलाया और अपराध के 12 घंटे के अंदर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था.

पुलिस के एक बेल्जियन शेफर्ड कुत्ते, जिसका नाम शाहीन है, ने दोनों आरोपियों के पकड़े जाने में अहम भूमिका निभाई.

इसके बाद जब दोनों से पूछताछ की गई, तो उस दौरान एक तीसरे आरोपी नाबालिग लड़के का नाम सामने आया. पुलिस ने कलाकुंवा गांव के निवासी सुल्तान भील (27), छोटूलाल भील (62) और नाबालिग लड़के के खिलाफ आईपीसी और पोक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया.

23 दिसंबर 2021 को तीनों आरोपियों ने नशे की हालत में नाबालिग आदिवासी लड़की को उस समय पकड़ लिया जब वह शौच के लिए जा रही थी,और पास के जंगल में उसके साथ बारी-बारी से रेप किया.

जब उसने अपने माता-पिता को अपराध के बारे में बताने की धमकी दी, तो आरोपियों ने पहले उसके सिर पर पत्थर से वार किया, और फिर उसके अपने ही दुपट्टे से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद भी आरोपी ने लड़की के शव के साथ दुष्कर्म किया.

त्वरित सुनवाई के लिए पुलिस ने अपराध को मामला अधिकारी योजना के तहत शामिल किया और राज्य सरकार से एक स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करने का अनुरोध किया. इसके बाद एडवोकेट महावीर सिंह किशनावत को नियुक्त किया गया.

पोक्सो कोर्ट-II के जज बालकृष्ण मिश्रा ने शुक्रवार को नाबालिग आदिवासी लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए आईपीसी और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत सुल्तान भील (27) और छोटूलाल भील (62) को अंतिम सांस तक फांसी की सजा सुनाई.

(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीड़िता की पहचान उसकी गोपनीयता की रक्षा के लिए नहीं की गई है.)

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