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आदिवासी छात्रों का त्रिपुरा पुलिस पर आरोप, कहा- हमारे साथ की गई मारपीट

अगरतला यातायात विभाग के तीन सिपाहियों और न्यू कैपिटल कॉम्प्लेक्स के दो पुलिस कर्मियों पर दो आदिवासी छात्रों के साथ मारपीट करने का आरोप लगा है. दरअसल पुलिसकर्मियों ने दो छात्रों को कथित तौर पर वीआईपी रोड पर मुख्यमंत्री के काफिले की आवाजाही में बाधा डालने का आरोप लगा हिरासत में लिया था. इसके बाद आदिवासी छात्रों ने आरोप लगाया कि दो स्थानों पर उनके साथ मारपीट की गई थी.

रिपोर्ट के अनुसार, एंगल रियांग (20) और अभिजीत देबबर्मा (21) ने अपनी निजी कार को सीएम के काफिले के आगे वीआईपी रोड पर सर्किट हाउस के पास अचानक रोक दिया गया, जिससे मुख्यमंत्री की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हुई. युवकों को यातायात कर्मियों ने हिरासत में लिया और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया.

आरोपित युवकों ने ट्रैफिक कांस्टेबल किशोर बानिक और दो अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा कि सीएम के काफिले को पार करने के बाद उन्हें शहर में यातायात इकाई में ले जाया गया और एक सुनसान कमरे में बानिक और अन्य ने उनके साथ मारपीट की और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया.

छात्रों का कहना है कि लंबे समय तक हिरासत में रखने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया. उन्होंने आगे मीडिया को बताया कि उन्हें एनसीसी पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद उन्हें सांप्रदायिक आधार पर प्रताड़ित किया गया. उन्हें लंबे समय तक अपने माता-पिता से बात करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद कुछ छात्र स्वयंसेवक एक वकील के साथ अन्य स्रोतों से सूचना पाकर थाने पहुंचे और उन्हें अस्पताल पहुंचाया.

पुलिस ने हालांकि आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें घटना के तथ्यों और परस्थितियों का पता लगाने के लिए जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए तीन दिन का नोटिस दिया गया था. पुलिस महानिदेशक वी.एस यादव ने घटना और युवकों के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं.

वी एस यादव ने कहा, “हम सड़क पर दो युवकों के वाहन के अचानक रोकने की घटना सहित सभी आरोपों की गहनता से जांच करेंगे और जो भी पुलिस पक्ष में दोषी पाए जाएंगे उन्हें कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा.”

उन्होंने कहा कि आरोपित युवकों ने इसकी शिकायत ट्रैफिक कर्मियों से भी की है, जिसकी जांच की जा रही है.

इस घटना ने जनजातीय समुदायों, पार्टियों और बुद्धिजीवियों के बीच राजनीतिक संबद्धता को काटते हुए एक गंभीर प्रतिक्रिया को जन्म दिया और उन पुलिसकर्मियों को अनुकरणीय दंड की मांग की जिन्होंने पहले यातायात इकाई कार्यालय और फिर पुलिस स्टेशन में छात्रों पर हमला किया था. पुलिस पर मोबाइल फोन छीनने का आरोप लगा और घायलों को काफी देर तक हिरासत में रखा.

टीआईपीआरए मोथा के प्रमुख और शाही वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मन, माकपा के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी, वाम मोर्चा सरकार के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता नरेश जमातिया, बोरोक मानवाधिकार कार्यकर्ता एंथनी देबबर्मा, आदिवासी बुद्धिजीवी सुनील कलाई, आदिवासी छात्र नेता देवी देबबर्मा और कांग्रेस अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने पुलिस की भूमिका का विरोध किया और तत्काल कार्रवाई की मांग की.

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