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मलेरिया से दो आदिवासी छात्राओं की मौत और 200 अन्य भी पीड़ित हैं

छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में पिछले तीन दिनों में मलेरिया से कम से कम दो छात्राएं मौत का शिकार हो चुकी हैं. इस ख़बर के बाद स्वास्थ्य विभाग ने स्कूलों और छात्रावास में शिविर लगा कर मलेरिया की जांच और इलाज शुरू किया है. 

बीजापुर के स्थानीय पत्रकारों से पता चला है कि ज़िले के अलग अलग हॉस्टल और स्कूलों के कम से कम 200 छात्र-छात्राएं मलेरिया से पीड़ित हैं. इन सभी  का स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज किया जा रहा है. 

शनिवार यानि 13 जुलाई को कक्षा दूसरी में पढ़ने वाली एक बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. इस बच्ची का नाम दीक्षिता है और वह चंदूर गांव की बताई गई है.

इस घटना के एक दिन बाद यानि रविवार को बीजापुर ज़िला अस्पताल में एक और छात्रा को बेहोशी का हालत में लाया गया था. इस छात्रा का इलाज के दौरान मौत हो गई. डॉक्टर कहते हैं कि ये दोनों ही छात्राएं सेरिब्रल मलेरिया से पीड़ित थीं. 

बीजापुर ज़िला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार ज़िले के आश्रम स्कूलों में 187 बच्चे मलेरिया पॉज़िटिव पाए गए हैं. 

ज़िला प्रशासन का यह दावा है कि मलेरिया की आश्रम स्कूलों में मलेरिया के उचार के प्रबंध के साथ साथ दवाई का छिड़काव भी कराया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग ने 2024 की पहली छमाही में मलेरिया के मामलों की रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार बस्तर ज़िले में 1660, बीजापुर में 4441, दंतेवाड़ा में 1640, कांकेर में 259, कोंडागांव में 701, नारायणपुर में 1509 और सुकमा में 1144 मलेरिया के मामले रिकॉर्ड हुए हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार का यह दावा है कि राज्य को जल्दी ही मलेरिया मुक्त बना लिया जाएगा. सरकार यह दावा करती है कि आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में (Bastar region) के मलेरिया मामलों में 50 प्रतिशत की कमी आई है.

इसके साथ ही राज्य सरकार ने जानाकारी दी है कि राज्य के 22 ज़िलों में कम से कम 17 लाख कीटनाशक दवाई वाली मच्छरदानी बांटी गई हैं.  

उधर मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह जानाकारी दी है कि राज्य के अलग अलग ज़िलों में मलेरिया और डायरिया से निपटने के लिए प्रशासन को मुस्तैद रहने के निर्देश दिये गए हैं.

इसके साथ ही ज़िला प्रशासन को पर्याप्त मात्रा में इन बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं के भंडारण के लिए भी कहा गया है.

इन दावों के बीच स्कूलों और हॉस्टल में मलेरिया से पीड़ित बच्चियों की मौत कई सवाल पैदा करती हैं. बस्तर संभाग के कई स्थानीय पत्रकारों ने यह जानकारी दी है कि कई आश्रम स्कूलों में मलेरिया की जांच किट तक उपलब्ध नहीं है.

इसमें सबसे अफ़सोसनाक पहलू ये है कि मलेरिया से पीड़ित छात्राओं को तब तक ज़िला अस्पताल नहीं लाया गया जब तक वे बेहोश नहीं हो गईं.

राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने छात्रावासों और स्कूलों में फैल रहे मलेरिया के मामलों की तहकीक़ात के लिए एक जाँच दल बनाया है.

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