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आदिवासी कला को बढ़ावा देने के लिए तकनीक का उपयोग

नाइकपोड़ आदिवासी समुदाय के कारीगर अब अपने स्किल को बेहतर करने और अपनी परंपरागत कलाओं को बढ़ावा देने के लिए तकनीक का सहारा लेंगे.

विश्व स्तर पर आदिवासी हस्तशिल्प के लिए एक व्यापक बाज़ार खड़ा करने के लिए इन आदिवसी कलाकारों की मदद कर रहा है आंध्र प्रदेश की इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी (ITDA).

आईटीडीए की इस पहल से भद्राचलम के इस आदिवासी समुदाय के कारीगरों ने नाइकपोड़ आदिवासी कला और शिल्प सोसायटी (Naikpod Tribal Arts & Crafts Society) का गठन किया है.

ITDA की वित्तीय सहायता से एक कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (Computer Numerical Control – CNC) राउटर की भी स्थापना की गई है.

नाइकपोड़ आदिवासियों की देवी लक्ष्मी देवरा

32 लाख रुपए के इस सीएनसी राउटर से लकड़ी के मुखौटों के उत्पादन में सुविधा होती है.

नाइकपोड़ समुदाय के कारीगर अपनी सदियों पुरानी शिल्प परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं. यह कारीगर  विभिन्न आदिवासी देवताओं और पांडवों के पौराणिक चरित्रों के लकड़ी के मुखौटे बनाने के लिए जाने जाते हैं.

यह लकड़ी के मुखौटे विशेष अवसरों और स्थानीय त्यौहारों के दौरान इस्तेमाल किए जाते हैं.

नाइकपोड़ आदिवासी घोड़े के सिर वाली देवी “लक्ष्मी देवरा” के मुखौटे विशेष त्यौहारों पर पहनते हैं. उम्मीद है कि सीएनसी राउटर इकाई नाइकपोड़ कारीगरों की इन परंपराओं को बनाए रखने में मदद करेगी.

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