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UP सरकार बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाने के लिए ‘आदिवासी गौरव पखवाड़ा’ का आयोजन कर रही

उत्तर प्रदेश सरकार लोक नायक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाने के लिए पूरे राज्य में बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रही है.

“जनजातीय गौरव पखवाड़ा” 1 नवंबर से 15 नवंबर तक मनाया जा रहा है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार अरुणाचल प्रदेश के साथ मिलकर 13 नवंबर से 18 नवंबर तक आदिवासी एक्टिविस्ट बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाने के लिए एक हफ़्ते तक चलने वाला “जनजाति भागीदारी उत्सव” आयोजित करेगी.

इसमें 18 राज्यों के आदिवासी टेक्सटाइल, कला, खान-पान, नृत्य और संस्कृति की खास प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी.

लखनऊ में मुख्य कार्यक्रम के अलावा सोनभद्र ज़िले में भी खास कार्यक्रम रखे गए हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को वर्चुअली शामिल होंगे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे.

यह उत्सव यूपी टूरिज्म और समाज कल्याण विभाग द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल के तहत अरुणाचल प्रदेश को पार्टनर राज्य बनाकर आयोजित किया जा रहा है.

बिरसा मुंडा आज के झारखंड के रहने वाले थे.

यूपी के आदिवासी कल्याण मंत्री असीम अरुण और राज्य के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने सोमवार को लखनऊ में एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कार्यक्रम की डिटेल्स बताईं.

यूपी के टूरिज्म मिनिस्टर जयवीर सिंह ने कहा, “बिरसा मुंडा को आदिवासी समुदायों में एक भगवान की तरह पूजा जाता है और उनके योगदान का सम्मान करने के लिए केंद्र सरकार ने 2022 में उनकी जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित किया. इस बार यह फेस्टिवल हमारी आदिवासी सोसाइटियों की कल्चरल यूनिटी के ज़रिए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के आइडिया को सच करने की एक पहल है.”

उन्होंने आगे कहा कि यह इवेंट राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक सद्भाव को मज़बूत करेगा. इसमें आदिवासी कला, नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और खान-पान की परंपराओं को दिखाया जाएगा.

सरकार का मकसद आदिवासी समाज के गौरव, परंपरा और योगदान का सम्मान करना और समाज में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है.

वहीं मंत्री असीम अरुण ने कहा कि यह कार्यक्रम देश के आदिवासी समुदाय की शानदार परंपराओं, संघर्षों और योगदान को लोगों तक पहुंचाने की एक कोशिश है.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में सरकार आदिवासी समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है.

असीम अरुण ने कहा कि आदिवासी भाषाएं और जीवनशैली भारत की एकता की नींव को मज़बूत करती हैं और इसलिए यह कार्यक्रम न केवल उनकी विरासत का सम्मान करेगा बल्कि उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक संरक्षण को भी बढ़ावा देगा.

इस कार्यक्रम को कोऑर्डिनेट कर रहे यूपी लोक और जनजातीय संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने बताया कि लखनऊ में होने वाले छह-दिवसीय उत्सव में लोक कलाकार, कारीगर और आदिवासी व्यंजन पेश करने वाले लोग हिस्सा लेंगे.

वहीं सोनभद्र में होने वाले कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से करीब 20 हज़ार आदिवासी हिस्सा लेंगे.

अतुल द्विवेदी ने कहा, “बिरसा मुंडा के योगदान के बारे में जागरूकता फैलाने के अलावा हम आदिवासी कला, नृत्य, पेंटिंग्स, टेक्सटाइल और खान-पान की एक प्रदर्शनी लगाने की योजना बना रहे हैं. अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ, तो विज़िटर्स देश के अलग-अलग हिस्सों में आदिवासी समुदायों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कई तरह के पारंपरिक फेस मास्क देख पाएंगे.”

इस उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन, जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, लोक चित्रकला और जनजातीय आभूषणों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रहेगी.

समाज कल्याण मंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस ऐतिहासिक जनजाति भागीदारी उत्सव बड़ी संख्या में सम्मलित होकर जनजातीय गौरव, भाषाई विविधता और सांस्कृतिक एकता के इस पर्व को सफल बनाएं.

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