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आदिवासी जिले की ग्राम पंचायतों को मिला ई-कनेक्टिविटी

छोटा उदयपुर के एक सुदूर गांव जहां मोबाइल कनेक्टिविटी भी एक मुद्दा है के रहने वाले वर्सन राठवा पिछले 10 सालों से जंगल में अपने लैंड असेसमेंट के लिए दर-दर भटक रहे थे लेकिन उनकी कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला.

लेकिन पिछले हफ्ते जूम (Zoom) के जरिए सिर्फ एक वीडियो कॉल से जिला कलेक्टर ने अपने गांव के ग्राम पंचायत कार्यालय में बैठकर वर्सन राठवा की मुश्किल हमेशा के लिए खत्म कर दी.

राठवा को जिला प्रशासन द्वारा मूल्यांकन का वादा किया गया है और कुछ दिनों के भीतर उन्हें अपने ग्राम पंचायत के कार्यालय में ईमेल के माध्यम से सभी आधिकारिक कागजात भी प्राप्त होंगे.

ऐसे क्षेत्र में जहां लोगों को सिर्फ एक फोन कॉल करने के लिए पहाड़ियों पर चढ़ना पड़ता है या पास के वाहन योग्य सड़क तक पहुंचने के लिए जंगल और जंगलों के पानी से होकर गुजरना पड़ता है. लेकिन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर बसे गांवों में रहने वाले वर्सन राठवा जैसे लोगों के लिए जिला प्रशासन की नई पहल एक बड़ा वरदान बनकर आई है.

जिला प्रशासन ने गुजरात की इस तरह की पहली पहल में सभी ग्राम पंचायतों को डिजिटल मैप पर ला दिया है ताकि नागरिकों को जिला या तालुका मुख्यालय तक नहीं जाना पड़े.

जिला कलेक्टर स्तुति चरण ने कहा, “सभी ग्राम पंचायतों के पास लैपटॉप और ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं इसलिए हमने उन्हें अपना अलग ईमेल एड्रेस बनाने के लिए कहा है. लोगों को जो भी समस्याएं होंगी वह हमें ग्राम पंचायतों से ईमेल के माध्यम से सूचित किया जाएगा और उनकी समस्याओं का समाधान उसी के मुताबिक किया जाएगा.”

सभी जरूरी कागजात और दस्तावेज भी डिजिटल फॉर्मेट में भेजे जाएंगे. स्तुति चरण ने कहा कि हमने इसके लिए एक बैक-एंड प्रक्रिया बनाई है ताकि लोगों की सुविधा के लिए बिना कागजात के ज्यादा से ज्यादा काम किया जा सके. एक बार जब मुद्दों का समाधान हो जाता है तो दस्तावेज या प्रमाण पत्र आवेदकों के व्हाट्सएप पर या ग्राम पंचायत में ईमेल के माध्यम से भी भेजे जाएंगे.

सभी जिलों का मासिक ‘स्वागत’ कार्यक्रम जहां कलेक्टर सीधे लोगों की समस्याएं सुनते हैं,  वो भी जूम के माध्यम से आयोजित किया जाएगा. स्तुति चरण ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “इस कार्यक्रम में नागरिक या तो अपने घर से या ग्राम पंचायत कार्यालय से अपने फोन से जुड़ सकते हैं.”

वर्सन राठवा ने कहा, “छोटा उदयपुर तक यात्रा करना मुश्किल है क्योंकि हमारा गांव ठीक से इससे जुड़ा नहीं है और हमें यहां पहुंचने के लिए बहुत पैसा भी खर्च करना पड़ता है. लेकिन अब इस तरह हमारा काम बहुत आराम से हो जाता है.”

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