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आंध्र प्रदेश: आदिवासी इलाक़े में वायरल बुखार से चिंता, लोगों ने कहा हालात की हो रही अनदेखी

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले के चिंतूर एजेंसी इलाक़े के तेकुबका गांव में खराब स्वच्छता और दूषित पानी की वजह से आदिवासियों और गैर-आदिवासियों दोनों के बीच वायरल बुखार के कई मामले सामने आए हैं.

लोगों का आरोप है कि एजेंसी इलाक़े में मौसमी बुखार पर काबू पाने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अभी तक गंभीरता से काम नहीं कर रहा है.

वायरल फीवर से पीड़ित लोगों का इलाक़े के अस्पताल और पीएचसी में ब्लड टेस्ट नहीं हो पा रहा है. इसके चलते यह लोग निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर हैं, जहां उन्हें ज़्यादा पैसे ख़र्च करने पड़ते हैं. इसके अलावा इनमें से कई लोगों को तेलंगाना के भद्राचलम ज़िले में निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है.

स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही व उदासीनता को लेकर इलाक़े के लोगों में काफ़ी गुस्सा है. चूंकि सरकारी अस्पतालों, पीएचसी, और सीएचसी में डॉक्टर कम ध्यान दे रहे हैं, लोगों को अच्छे इलाज और जल्दी ठीक होने के लिए तेलंगाना जाना पड़ रहा है.

चिंतूरू एक आदिवासी-बहुल इलाक़ा है और यहां के लोगों के लिए इलाज के लिए दूर की यात्रा करना संभव नहीं होता. ऐसे में यह कहते हैं कि चूंकि वो गरीब हैं, इन्हें इनके भाग्य पर छोड़ दिया जा रहा है.

मरीजों का यह भी आरोप है कि डॉक्टरों को उनकी सेहत की चिंता बिल्कुल नहीं है. लैब की कमी से यह भी नहीं चल पा रहा है कि उन्हें डेंगू या मलेरिया तो नहीं है. ऐसे में उनकी चिंताएं और बढ़ गई हैं. इसके अलावा, उनका आरोप है कि इलाक़े के स्वास्थ्य केंद्रों में दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं.

स्थानीय लोगों ने मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा कि गोदावरी नदी से पीने के पानी के लिए ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत हैंडपंप और दूसरी व्यवस्थाएं की गई हैं. लेकिन स्वच्छता की कमी ने उन्हें काफ़ी परेशान किया हुआ है.

आदिवासियों का कहना है कि एजेंसी इलाक़ों में साफ-सफाई की स्थिति बेहद ख़राब है. उन्होंने इसके बारे में नए जिला कलेक्टर सुमित कुमार को अवगत कराया है, और उनसे उचित कार्रवाई करने की मांग की है. उनकी मांगों में स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता और वायरल बुखार की जांच के लिए तत्काल कदम उठाया जाना भी सामिल हैं.

कुनावरम के स्वास्थ्य अधिकारी ए वेनी ने एक स्थानीय पत्रिका, द हंस इंडिया, से बातचीत में कहा कि उन्होंने पिछले दो दिनों से वायरल बुखार के संबंध में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों सहित 22 लोगों के लिए लैब टेस्ट किए हैं. इन सभी परीक्षणों के परिणाम नेगेटिव आए हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह एक स्वास्थ्य कैंप भी आयोजित किया जाएगा.

आईटीडीए चिंटूरु के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पी पुलैया ने कहा कि कुनावरम मंडल के तेकुबका गांव में वायरल फीवर की रोकथाम के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों ने 22 लोगों को बुखार से पीड़ित पाया, और स्वास्थ्य कैंप में उन्हें दवाएं बांटी जा रही हैं.

इसके अलावा डॉक्टरों और अधिकारियों का कहना है कि तेकुबका गांव में मलेरिया और डेंगू का कोई मामला सामने नहीं आया है. चिंटूरु संभाग में घर-घर की जांच से पता चला है कि कई घरों में पानी जमा है. इसको देखते हुए अब हर शुक्रवार स्वास्थ्य और आशा कार्यकर्ता अपने-अपने इलाक़े में घर-घर जाकर लोगों को सलाह देंगे कि वे अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें ताकि मच्छरों को पनपने से रोका जा सके. इसके अलावा एजेंसी इलाक़े की सभी आदिवासी बस्तियों में मच्छरों को मारने के लिए इंडोर रेसिडुअल स्प्रे (आईआरएस) का काम पूरा कर लिया गया है.

रामपचोडावरम आईटीडीए परियोजना अधिकारी और अल्लूरी सीतारामराजू जिला संयुक्त कलेक्टर एस धनंजय ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सरकारी अस्पताल पहुंचने वाले आदिवासियों के जल्द इलाज के लिए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

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