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विशाखापत्तनम: आदिवासी गांवों को महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण में शामिल न करने की अपील

आंध्र प्रदेश के एजेंसी क्षेत्रों के आदिवासी लोगों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सहायक निदेशक अशोक वर्धन को एक ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में उन्होंने नाथवरम मंडल के छह गांवों को विशाखापत्तनम महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (VMRDA) में शामिल करने की अनुमति न देने की अपील की है.

आंध्र प्रदेश आदिवासी जॉइंट एक्शन कमिटी (APAJAC) के नेताओं ने अशोक वर्धन से मुलाकात कर उनसे कहा कि नाथवरम मंडल के धर्मावरम अग्रहारम, चम्मचिन्टा, सरगुडु,  कुरुवडा, कलववोद्दु, सरभावरम और  पोट्टीनगन्नाडोरा पालम पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र हैं.

लेकिन 23 मार्च के राज्य सरकार के एक आदेश के तहत VMRDA के विस्तारित अधिकार क्षेत्र के तहत ये गांव में शामिल हैं. VMRDA में इन गाँवों का विलय सीधे तौर पर PESA क़ानून और वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन है, क्योंकि इन क़ानूनों के तहत ग्राम सभाओं को विशेष अधिकार दिए गए हैं. और सरकार का आदेश इस अधिकार को ख़त्म कर देता है.

इसके अलावा APAJAC के नेताओं का कहना है कि ऐसे 91 आदिवासी बहुल गाँव जो पिछले कई दशकों से पाँचवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं, उन्हें भी VMRDA के अधिकार क्षेत्र में शामिल किया जा रहा है.

विशाखापत्तनम में 3.5 लाख से आदिवासी आबादी है

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य के 553 ऐसे आदिवासी गाँव जिन्हें दशकों पहले ही पाँचवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाना चाहिए था, लेकिन राजनीतिक उदासीनता और नौकरशाही की लापरवाही के कारण अब तक ऐसा नहीं हो सका है.

आंध्र प्रदेश की 42 लाख आदिवासी आबादी राज्य की नौ अनुसूचित ज़िलों में रहती है, जिसमें विशाखापत्तनम भी शामिल है. विशाखापत्तनम ज़िले में आदिवासी आबादी साढ़े तीन लाख से ज़्यादा है, जो यहां की कुल आबादी का 13.4 प्रतिशत हिस्सा है.

ज़िले में कोटिया, कोन्डाडोरा, नूकाडोरा, कोन्डा कम्मरा, कोन्डो कापू, गडबा, माली, परजा, मन्नेडोरा जैसे समुदाय रहते हैं. इनमें कुछ पीवीटीजी समुदाय भी हैं.

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