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विशाखापत्तनम के आदिवासी इलाक़ों पर दोहरी मार, कोविड के साथ मलेरिया का भी है प्रकोप

विशाखापत्तनम के एजेंसी क्षेत्रों के निवासियों को कोविड महामारी के साथ-साथ मौसमी बुखार की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. हाल ही में हुई बारिश के बाद दोनों बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं.

विशाखापत्तनम के 11 मंडलों के आदिवासी क्षेत्रों ने कोविड की पहली लहर को स्वैच्छिक लॉकडाउन के ज़रिये दूरी पर रखा था. इन इलाक़ों में तब बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक थी.

स्वास्थ्य टीमों और आशा कार्यकर्ताओं ने जागरुकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस वजह से यह इलाक़ा पहली लहर के शुरु के दो महीनों में कोविड-मुक्त रहा. बाकी के नौ महीनों में लगभग 2800 लोग कोविड पॉज़िटिव हुए, जिनमें से 12 की मौत हुई.

इसके मुक़ाबले सिर्फ़ पिछले डेढ़ महीने में 2,900 से अधिक मामले सामने आए हैं, और 40 मौतें हुई हैं. हुकुमपेटा, पडेरू और अरकू घाटी में बड़ी संख्या में मामले सामने आए हैं, जबकि कोय्यूरु, मुंचिंगपुट, जी मदुगुला और पेडबायालु में प्रसार की गति धीमी है.

हाल की बढ़ोत्तरी के चलते, एजेंसी क्षेत्रों में पॉज़िटिविटी दर 25 से 30 प्रतिशत के बीच है. एक चिंता यह भी है कि इस बीच मलेरिया के मामलों में भी वृद्धि हुई है. ITDA के परियोजना अधिकारी एस वेंकटेश्वर के अनुसार इस मुद्दे से निपटने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई जा रही है.

एजेंसी क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं और वॉलंटियर्स द्वारा बुखार का सर्वेक्षण किया जा रहा है, जिससे मलेरिया और कोविड के मामलों की अलग-अलग पहचान की जा रही है. फिलहाल इस सर्वे का सातवां दौर चल रहा है.

जहां आशा कार्यकर्ता मलेरिया निदान पर ध्यान दे रही हैं, चिकित्सा अधिकारी कोविड परीक्षण कर रहे हैं. हर रोज़ 1,200 परीक्षणों में से औसतन 300 पॉज़िटिव हो रहे हैं.

एजेंसी क्षेत्रों में क़रीब 550 लोग होम आइसोलेशन में हैं, और उनके स्वास्थ्य की निगरानी एएनएम (Auxiliary Nursing Midwifery) द्वारा की जा रही है.

बिना होम आइसोलेशन की सुविधा और 95 से ऊपर ऑक्सीजन स्तर वाले लोगों को अरकू, पडेरू और चिंतापल्ले में कोविड केयर सेंटरों में भेजा जा रहा है.

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