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आदिवासी-बहुल मेलघाट में कोविड के खिलाफ़ प्रशासन की नई पहल, स्थानीय कोरकु भाषा में बनी है वेब सीरीज़

महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल मेलघाट इलाक़े में अधिकारी वैक्सीन और कोविड टेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए यूट्यूब का सहारा ले रहे हैं. मेलघाट के आदिवासियों में से ज़्यादातर इन दोनों चीज़ों के लिए तैयार नहीं थे.

इससे पार पाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने यहां की भाषा कोरकु में एक वेब सीरीज़ बनाई है. यह सीरीज़ यूट्यूब के अलावा वॉट्सऐप पर भी शेयर की जा रही है.

इंटरनेट अब मेलघाट के लगभग हर घर में पहुंच चुका है. ऐसे मेंअधिकारियों को उम्मीद है कि इस वेब सीरीज़ से मेलघाट की आदिवासी जनता का वैक्सीन और टेस्टिंग के बारे में मन बदला जा सकेगा.

यह पहल सब-डिविज़नल ऑफ़िसर दीपाली सेठी ने की है. वेब सीरीज़ का नाम है ‘कोरोना हरित्वा, मेलघाट जितुवा’, जिसका मतलब है कोरोना हारेगा और मेलघाट जीतेगा.

पहले अपिसोड में कोरोना क्या है इसका उल्लेख किया गया है. कोरकु भाषा में बने इस वीडियो में डॉक्टर दयाराम जावरकर कोरोना से जुड़े सवालों का जवाब देते हैं.

जावरकर कोरकु भाषा में ही समझाते हैं कि कोरोना कैसे फैलता है, और इसका इलाज कैसे किया जाना चाहिए. सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अहमियत भी इसमें बताई गई है.

मेलघाट के कोरकु समुदाय में कुपोषण एक बड़ी समस्या है

वीडियो का असर अब दिखने लगा है. पिछले दो-तीन दिनों में इलाक़े के आदिवासी कोविड टेस्ट के लिए अपने प्राइमरी हेल्थ सेंटर पहुंचे हैं.

आदिवासियों की एक चिंता यह भी है कि अगर उनका टेस्ट पॉज़िटिव आता है तो उन्हें अमरावति भेजा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्हें बताया जा रहा है कि सिर्फ़ होम आइसोलेशन की ज़रूरत है.

जनजातीय विभाग के दफ्तर में भी वीडियो लगातार चल रहा है. सीरीज़ के अगले वीडियो में ऐसे बुज़ुर्गों का इंटरव्यू होगा जिन्हें वैक्सीन लग चुका है.

ज़िला प्रशासन के साथ पंचायतें और ग़ैर सरकारी संगठन भी काम कर रहे हैं. एक एनजीओ वीडियो से ज़रूरी ऑडियो निकालकर दूरदराज़ के गांवों में उसे लाउडस्पीकर पर चला रहा है.

इलाक़े में कई बिना कारण की मौतों के बाद प्रशासन ने उनके संपर्क में आए लोगों के टेस्ट किए थे. अब तक एसे ज़्यादातर लोगों के टेस्ट नेगेटिव पाए गए हैं. टेस्टिंग और टीकाकरण की वजह से कोविड के मामले अब कम हो रहे हैं.

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