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कौन हैं अरामबाई तेंगगोल, जिसके इशारे पर मणिपुर के मैतेई विधायक दौड़े चले आए

बुधवार को विभिन्न पार्टियों के 30 से अधिक विधायक, एक केंद्रीय मंत्री और मणिपुर के एक राज्यसभा सांसद एक कट्टरपंथी मैतेई संगठन के सम्मन पर इंफाल के कांगला किले में इकट्ठे हुए. इस संगठन के निर्देश पर इन सभी नेताओं ने लोगों की परेशानियों को हल करने की शपथ ली.

राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने समूह की मांगों वाले दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए. यह बैठक अरामबाई तेंगगोल (Arambai Tenggol) द्वारा बुलाई गई थी.

अरामबाई तेंगगोल को मणिपुर में हिंसा शुरु होने से पहले राज्य के बाहर शायद ही कोई जानता था. पिछले साल मई में मैतेई और कुकी समुदायों (Meitei and Kuki communities) के बीच हिंसा शुरू होने के बाद यह संगठन चर्चा में आया था.

हालांकि, बीरेन सिंह कांगला किले की बैठक (Kangla Fort meeting) में शामिल नहीं हुए थे. उपस्थित लोगों में विदेश राज्य मंत्री और मणिपुर के लोकसभा सांसद राजकुमार रंजन सिंह और मणिपुर के राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनाजाओबा शामिल थे.

वहीं दस्तावेज़ पर हस्ताक्षरकर्ताओं में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह भी शामिल थे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने यह दावा भी किया है कि इस बैठक में कांग्रेस के विधायकों पर हमला किया गया.

गुरुवार को जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कल इम्फाल के कांगला में राज्य और केंद्रीय बलों की पूरी सुरक्षा के तहत सर्वदलीय विधायकों/सांसदों/मंत्रियों की एक बैठक में मणिपुर पीसीसी अध्यक्ष के. मेघचंद्र पर हुए क्रूर शारीरिक हमले की कड़ी निंदा करती है. हालांकि, प्रधानमंत्री ने मणिपुर में हुई भारी त्रासदी पर अपनी चुप्पी जारी रखी है.”

अब बात करते हैं अरामबाई तेंगगोल की…

कौन हैं अरामबाई तेंगगोल?

2020 में एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन के रूप में गठित, अरामबाई तेंगगोल ने पिछले नौ महीनों में इंफाल घाटी में जबरदस्त सार्वजनिक समर्थन और प्रशासनिक दबदबा हासिल किया है. समूह का नाम मैतेई योद्धाओं की प्राचीन युद्ध रणनीति से लिया गया है जिसका मोटे तौर पर अनुवाद “भाला चलाने वाले” के रूप में किया जाता है.

अनुमान है कि समूह में लगभग 2 हज़ार लोगों की सशस्त्र कैडर शक्ति है और घाटी भर में कई हजार स्वयंसेवकों द्वारा इसका समर्थन किया जाता है.

पिछले साल मई में राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से समूह के सदस्यों को कुकी के साथ झड़पों, राज्य के शस्त्रागारों से हथियार लूटने और कुकी हमलों के खिलाफ मैतेई गांवों की रक्षा करने में सबसे आगे देखा गया था.

राज्य में हिंसा के शुरुआती दिनों के दौरान मणिपुर पुलिस द्वारा अरामबाई तेंगगोल नाम से कई एफआईआर दर्ज की गईं. कुकी-ज़ोमी समुदाय के सदस्यों द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों में अरामबाई तेंगगोल का नाम लिया गया है.

कम से कम एक एफआईआर में सानाजाओबा का भी जिक्र किया गया है. कुकी-ज़ोमी निवासी की शिकायत कांगपोकपी जिले के एक गांव में लूटपाट से संबंधित है.

एफआईआर में आरोपियों को “मैतेई युवा संगठन से जुड़े अज्ञात बदमाशों के रूप में नामित किया गया है, जिनके बारे में संदेह है कि वे अरामबाई तेंगगोल के सदस्य हैं, जो सांसद श्री लीशेम्बा सनाजाओबा के वफादार हैं.”

इन संबंधों के कारण, कुकी-ज़ोमी समूह भी मांग कर रहे हैं कि चल रहे संघर्ष में उनकी भूमिका की जांच की जाए.

इसके अलावा कुकी समूहों का दावा है कि तेंगगोल सेनानियों ने उस भीड़ का नेतृत्व किया जिसने उनके गांवों को आग लगा दी और उनके लोगों को मार डाला, जबकि मणिपुर पुलिस मूकदर्शक बनी रही. समूह के कैडर पर मोरेह में कुकी उग्रवादियों के साथ हाल की झड़पों में भी शामिल होने का संदेह है.

मणिपुर में लगभग संस्थागत पतन के माहौल में मैतेई और कुकी आबादी के पूरी तरह से अलग होने, पुलिस और सुरक्षा बलों की निष्पक्षता पर विश्वास की सामान्य कमी के साथ दोनों तरफ बहुत सारे कट्टरपंथी और उग्रवादी संगठन सक्रिय हो गए हैं.

सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि अरामबाई तेंगगोल और उसका नया प्रभाव इसी का परिणाम है.

बुधवार की सुबह जैसे ही अरामबाई तेंगगोल प्रमुख कोरौंगनबा खुमान (Korounganba Khuman) अपने बॉडीगार्ड के साथ किले में चले गए तब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) किनारे से देख रहे थे.

मणिपुर के एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, “यह ऐसा था जैसे स्पीकर विधानसभा का विशेष सत्र बुला रहे हों या सीएम सर्वदलीय बैठक की मेजबानी कर रहे हों.”

अरामबाई का बढ़ता प्रभाव

मोरेह में हालिया हिंसा बढ़ने के बाद घाटी में मैतेई आबादी में काफी गुस्सा था. जारी हिंसा के बीच बातचीत करने के लिए केंद्र ने पूर्वोत्तर में अपने प्रभारी और पूर्व इंटेलिजेंस ब्यूरो चीफ ए के मिश्रा के नेतृत्व में एक टीम मणिपुर भेजी.

टीम ने अरामबाई तेंगगोल से भी मुलाकात की, जो राज्य के वर्तमान परिदृश्य में उनके महत्व का एक और उदाहरण है.

समूह में एक राजनीतिक छाया भी है. अगस्त 2022 में एक सोशल मीडिया पोस्ट में ग्रुप ने बीरेन सिंह से मुलाकात का दावा किया था. बैठक की एक तस्वीर में बीरेन सिंह और सनाजाओबा को खुमान और अरामबाई तेंगगोल के अन्य सदस्यों के साथ बैठे दिखाया गया है.

उस साल सितंबर में सनाजाओबा, जो कि मणिपुर के राजा भी हैं. उनकी एक फेसबुक पोस्ट में तेंगगोल सदस्यों को उनके आवास पर “शपथ” लेते हुए दिखाया गया था.

तेंगगोल के सदस्य आम तौर पर काले रंग की टी-शर्ट पहनते हैं, जिसके पीछे मैतेई घुड़सवार सेना की लाल रंग की तस्वीर होती है. वे सलाई तारेत झंडे भी फहराते हैं जिनमें सात रंग होते हैं. प्रत्येक रंग मैतेई के एक कबीले का प्रतिनिधित्व करता है.

सूत्रों का कहना है कि समूह के नेता अक्सर प्राचीन मैतेई संस्कृति और कांगलेईपाक के ऐतिहासिक मैतेई साम्राज्य का जिक्र करते हैं. साथ ही राष्ट्रवादी बयानबाजी करते हैं और सनमहिज्म धर्म (Sanamahism religion) की सुरक्षा के बारे में बात करते हैं.

मणिपुर के एक अधिकारी ने कहा, “कुकियों के खिलाफ हिंसा में खुद को सबसे आगे रखकर और कुकी हमलों के खिलाफ गांवों की रक्षा करके, समूह ने घाटी में जबरदस्त जन समर्थन हासिल किया है. इसके पास अत्याधुनिक हथियार हैं, जो ज्यादातर पुलिस शस्त्रागारों से लूटे गए हैं. इसे मणिपुर पुलिस कांस्टेबल में कुछ सहानुभूति प्राप्त है. ऐसे समय में जब मणिपुर के राजनेताओं के प्रति विश्वसनीयता कम है, समूह का दबदबा बढ़ गया है. राजनीतिक नेताओं सहित हर कोई इससे जुड़ना चाहता है.”

सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा एजेंसी भी समूह के खिलाफ या कुकी उग्रवादी समूहों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से सावधान है, क्योंकि उन्हें इस समय अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में समर्थन प्राप्त है.

पिछले साल मई में जब अरामबाई तेंगगोल समूह ने राज्य में हिंसा के संदर्भ में सुर्खियां बटोरनी शुरू कीं तो उसने अपने विघटन की घोषणा कर दी थी. हालांकि, सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ भूमिगत हो गया और घाटी की सीमा पर काम करता रहा.

अरामबाई तेंगगोल प्रमुख

इसके प्रमुख कोरौंगनबा खुमान की बैकग्राउंड के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, सिवाय इसके कि वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और समूह शुरू करने से पहले उन्होंने एक सरकारी ठेकेदार के रूप में काम किया था. वह अक्सर बुलेट प्रूफ जैकेट पहने और अत्याधुनिक बंदूकें लेकर अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं.

सूत्रों ने कहा कि पिछले तीन महीनों में खुमान नियमित रूप से सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं. इंफाल में भाषण दे रहे हैं और रैलियों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से समूह की ताकत दिखा रहे हैं.

एक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी ने कहा, “समूह राजनीतिक नेताओं की सहमति से कुछ राजनीतिक स्थान का दावा कर रहा है. हम इन घटनाक्रमों पर नजर रख रहे हैं.”

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