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जनजातीय विकास रोडमैप का अध्ययन करने के लिए त्रिपुरा में विश्व बैंक की टीम

त्रिपुरा के स्वदेशी लोगों की प्रगति और कल्याण के लिए विश्व बैंक के अधिकारियों की एक टीम ने राज्य का दौरा किया और 1300 करोड़ रुपये की परियोजना के कार्यान्वयन से पहले अलग-अलग जिलों में विभिन्न आदिवासी बहुल बस्तियों का निरीक्षण किया. इस परियोजना से राज्य के 23 आदिवासी बहुल ग्रामीण प्रखंडों में रहने वाले परिवारों को लाभ होगा.

आदिम जाति कल्याण विभाग के निदेशक विशाल कुमार ने कहा कि विश्व बैंक के अधिकारियों का यह दौरा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित 1,300 करोड़ रुपये की परियोजना से जुड़ी है, जो आदिवासी समुदायों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान की गारंटी देती है.

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अगस्त, 2021 को पश्चिम त्रिपुरा जिले के मोहनपुर में एक कार्यक्रम में आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए 1300 करोड़ रुपये की परियोजना की घोषणा की थी.

विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पांच वर्षों में लागू करने का लक्ष्य रखा गया है. हम जिन जमीनी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उसके आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और निर्माण प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए दो साल की अवधि की जरूरत होगी. हमें उम्मीद है कि परियोजना अप्रैल 2023 तक शुरू हो जाएगी.”

आदिवासी कल्याण विभाग के सचिव पुनीत अग्रवाल ने कहा कि परियोजना मुख्य रूप से त्रिपुरा में आदिवासी समुदायों के लोगों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा और आजीविका के नए अवसरों के सृजन पर जोर देती है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कनेक्टिविटी में सुधार किया जाएगा. 500 किलोमीटर से अधिक की ग्रामीण सड़कों को पुनर्निर्मित किया जाएगा. कई स्कूलों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में तब्दील किया जाएगा. योजना के तहत शुरू की गई कई परियोजनाओं के तहत आदिवासी गांवों में रहने वाले लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा. हमें उम्मीद है कि चीजें अच्छी होंगी और लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा.”

इस बीच, विश्व बैंक के अधिकारियों की एक टीम ने लगातार तीन बार त्रिपुरा का दौरा किया. उन्होंने विभिन्न विभागों के लोगों के साथ बातचीत की और राज्य भर के विभिन्न आदिवासी बहुल इलाकों का दौरा किया.

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