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मध्य प्रदेश में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, आदिवासी नेता कमलेश प्रताप शाह BJP में हुए शामिल

दलबदल की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में बड़ी सेंध लगाई है. तीन बार के विधायक, हर्रई शाही परिवार के सदस्य और आदिवासी नेता कमलेश प्रताप शाह शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक और झटका लगा है.

लंबे समय तक कमलनाथ के सहयोगी रहे शाह, नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में स्थित अमरवाड़ा से मौजूदा विधायक थे. हालांकि, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले कमलेश प्रताप शाह ने विधायक पद से इस्तीफा दिया, इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हुए.

शाह के शामिल होने से भाजपा छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में बढ़त बनाने की उम्मीद कर रही है क्योंकि पार्टी मौजूदा सांसद और कमलनाथ के बेटे नकुल को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है. भाजपा के लिए यह एक अहम सीट है क्योंकि पार्टी पिछले कुछ दशकों में इसे जीतने में नाकाम रही है.

प्रताप शाह के भाजपा में शामिल होने से राज्य विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 65 रह गई. अमरवाड़ा सीट पर जल्द ही उपचुनाव होने की उम्मीद है.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि शाह के जाने के पीछे उनके और नकुल के बीच मतभेद है.

छिंदवाड़ा के एक बीजेपी नेता ने कहा, “अमरवाड़ा में कार्यक्रमों के दौरान नकुलनाथ ने शाह की अनदेखी की. कार्यक्रम के दौरान उनकी बात नहीं मानी गई और दरार बढ़ती गई. पड़ोसी जिलों के दो अन्य आदिवासी विधायक हैं जो हमारे संपर्क में हैं और वे जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे. इन दोनों की नकुलनाथ से अनबन है, जिसे बीजेपी तलाश रही है.”

छिंदवाड़ा में कांग्रेस नेता उस वक्त हैरान रह गए जब शाह भाजपा मुख्यालय पहुंचे और मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात की.

छिंदवाड़ा के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “हमने एक बड़ा आदिवासी नेता खो दिया. जब वह भोपाल के लिए निकले तो हमें पता था कि उनसे बात करने का कोई मतलब नहीं है. वह बहुत जिद्दी है क्योंकि वह एक शाही परिवार से है. लेकिन वह एक आम आदमी की तरह रहते हैं. उनके हारने का मतलब है कि कम से कम 25,000 वोटों का नुकसान होगा. इससे नकुल नाथ कमजोर दिख रहे हैं क्योंकि उनके पिता के सबसे करीबी सहयोगी पार्टी छोड़ रहे हैं.”

कौन हैं कमलेश प्रताप शाह?

शासक परिवार के सदस्य प्रताप शाह ने एक दशक तक जनपद पंचायत हर्रई और कांग्रेस की हर्रई समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. वह पहली बार 2013 में विधायक के रूप में चुने गए और फिर साल 2018 और 2023 में सीट बरकरार रखी.

2023 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा की मोनिका बट्टी को हराया, जो दिवंगत मनमोहन शाह बट्टी की बेटी थीं, जो अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी (ABGP) के अध्यक्ष थे.

कमलेश शाह ने शुक्रवार को अपनी पत्नी माधवी शाह और बहन केसर नेताम के साथ भाजपा का दामन थामा है. उनकी पत्नी हरी नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष रही हैं. जबकि बहन जिला पंचायत सदस्य है. कमलेश शाह ने सीएम हाउस में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.

सीएम ने किया स्वागत

गुरुवार को छिंदवाड़ा दौरे के दौरान सीएम मोहन यादव ने कमलनाथ पर तीखा हमला बोला और दावा किया कि छिंदवाड़ा कांग्रेस का गढ़ नहीं है और जिले में सब कुछ “अव्यवस्थित” है.

वहीं एक दिन बाद सीएम यादव ने शाह का स्वागत करते हुए कहा कि छिंदवाड़ा के गोंडवाना समुदाय का एक प्रमुख व्यक्ति भाजपा परिवार में शामिल हो गया है और छिंदवाड़ा, जहां आदिवासी समुदाय का काफी प्रभाव है, वहां कांग्रेस संगठन को कमजोर करने के पार्टी के उद्देश्य को देखते हुए भाजपा उनका स्वागत करके खुश है.

पार्टी ने यह भी दावा किया कि जिले के 2,000 से अधिक नेता भाजपा में शामिल हुए.

नए सदस्यों को शामिल करते हुए यादव ने कहा, “आज पूरा राज्य मोदीमय है. जिनकी तीन पीढ़ियां विधायक रही हैं वे अब कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए हैं. कमलेश शाह…कमलनाथ के व्यवहार के कारण भाजपा में शामिल हुए. छिंदवाड़ा में गड़बड़ है और इसके उदाहरण सामने आ रहे हैं.”

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