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मणिपुर में निर्वस्त्र कर घुमाई गई महिलाओं का वीडियो वायरल, पीड़ित की पूरी कहानी सुनें

मणिपुर में दो कुकी महिलाओं को नंगा सड़क पर चलने के मजबूर किये जाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह वीडियो 4 मई का है और दोनों महिलाएं कुकी समुदाय से हैं. वहीं जो लोग महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रहे हैं वो सभी मैतई समुदाय से हैं. आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम के मुताबिक यह घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में 4 मई को हुई. वहीं इस मामले में पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ्तार भी नहीं किया गया है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं जो रो रही हैं और उनसे छोड़ने की गुहार लगा रही हैं. 

इसी तरह की एक और घटना की शिकार हुई एक लड़की से कांगपोकपी में MBB की टीम से मुलाक़ात हुई थी. इस मुलाक़ात में उसने अपनी आपबीती बताई थी. यह बातचीत नीचे दी गई ग्राउंट रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे आप लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं.

मणिपुर के कांगपोकपी से ग्राउंड रिपोर्ट

आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता ने इस घृणित कृत्य की निंदा करते हुए मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अपराध का संज्ञान लें और दोषियों को कानून के सामने लाएं. वहीं कुकी समुदाय गुरुवार यानि आज चुरचांदपुर में प्रस्तावित विरोध मार्च के दौरान इस मुद्दे को भी उठाने की योजना बना रहे हैं. 

मणिपुर राज्य में तीन मई से इंफाल घाटी में केंद्रित बहुसंख्यक मैतेई और पहाड़ियों में बसने वाले कुकी लोगों के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं. हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.

अनुसूचित जनजाति की सूचि में मैतेई को शामिल करने के कथित कदम के खिलाफ अखिल जनजातीय छात्र संगठन मणिपुर द्वारा ‘जनजाति एकजुटता रैली’ आयोजित किये जाने के बाद हिंसा बढ़ गई. सोशल मीडिया पर वीडियो आने के बाद पुलिस भी मामले की जांच कर रही है.

इस वीडियो के वायरल होने के बाद केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की है. इस मामले में पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस मामले में सख़्त कार्रावाई की जाएगी.

यह आशंका प्रकट की जा रही है कि पिछले करीब डेढ़ महीने से जातीय संघर्ष की आग में जल रहे मणिपुर में प्रतिबंधित आतंकी समूह फिर से सिर उठा सकते हैं. क्योंकि युद्धरत समुदायों के पास छह लाख से अधिक गोलियां और लगभग 3,000 बंदूकें अब भी हैं. 

अधिकारियों और विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है. अधिकारियों ने कहा कि मई में पुलिस के शस्त्रागार से लापता हथियारों में .303 राइफलें, मीडियम मशीन गन (एमएमजी) और एके असॉल्ट राइफलें, कार्बाइन, इंसास लाइट मशीन गन (एलएमजी), इंसास राइफल, एम-16 और एमपी5 राइफलें थीं. 

इनके अलावा, 3 मई से पुलिस और अन्य सुरक्षा अधिकारियों पर किए गए हमलों के दौरान लगभग 6 लाख गोलियां गायब पाई गईं. इन हमलों में अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.

कुकी नेताओं ने यह आरोप भी लगाया है कि पुलिस से जो हथियार लूटे गए हैं, दरअसल सरकार के इशारे पर पुलिस ने खुद ही इंफ़ाल घाटी में मैती समुदाय के लोगों को ये हथियार दिये हैं. 

अधिकारियों ने कहा कि लगभग 4,537 हथियार और 6.32 लाख गोला-बारूद मुख्य रूप से पूर्वी इंफाल के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (एमटीपीसी), 7वीं इंडिया रिजर्व बटालियन और 8वीं मणिपुर राइफल्स, से गायब हैं. 

अधिकारियों के मुताबिक, चुराए गए हथियारों में से 2,900 घातक श्रेणी के थे, जबकि अन्य में आंसूगैस और मिनी फ्लेयर बंदूकें शामिल थीं. विशेषज्ञों ने कहा, मौजूदा संघर्ष की वजह से लगभग निष्क्रिय हो चुके प्रतिबंधित आतंकी संगठनों ने फिर सक्रिय हो गए हैं, जिनमें यूनाइटेड नेशनल लिब्रेशन फ्रंट (यूएनएलएफ), पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए), कांग्लेई यावोल,कांग्बा लूप (केवाईकएल) और पीपुलस रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांग्लेईपाक (पीआरईपीएके) हैं.

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