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मध्यप्रदेश: विस्थापन से लड़ते आदिवासी और सरकार की पैंतरेबाज़ी

मध्य प्रदेश के मंडला ज़िले के गांव चुटका में एक परमाणु बिजली घर प्रस्तावित है. साल 2009 में इस बिजली घर का प्रस्ताव किया गया था. लेकिन अभी तक इस प्रस्ताव पर काम आगे नहीं बढ़ा है.

इसकी वजह है यहां के आदिवासियों का विरोध. चुटका गांव जहां यह बिजली घर प्रस्तावित है, पहले ही भी एक बार विस्थापित हो चुका है.

इस गांव के लोग कहते हैं कि बरगी बांध के लिए उनके गांव को विस्थापित किया गया था. उस विस्थापन के बाद उन्होंने जैसे-तैसे जंगल की कुछ ज़मीन पर फिर से अपने खेत तैयार किये थे.

लेकिन सरकार अब फिर से उनकी ज़मीन छीन लेना चाहती है. उनका आरोप है कि अनुसूचि 5 और पेसा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन कर सरकार उनकी ज़मीन छीन लेना चाहती है.

यहां पर आदिवासी कहते हैं कि उनकी ग्रामसभा ने कई बार प्रस्ताव पास किया है कि वे अपनी ज़मीन नहीं देना चाहते हैं, लेकिन सरकार सुनती ही नहीं है और ज़बरदस्ती कर रही है.

सरकार और आदिवासियों के बीच इस संघर्ष को अब एक दशक से ज़्यादा हो चुका है. इस दौरान सरकार ने आदिवासियों की एकता को तोड़ने के लिए तरह तरह के पैंतरे अपनाए हैं.

पूरी कहानी उपर लगे वीडियो के लिंक पर क्लिक कर देखें —

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