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झारखंड: जमशेदपुर में लगेगा आदि महोत्सव- राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव

Naga tribesmen from Yimchunger tribe a dance on the second of the Hornbill festival at the Naga Heritage village Kisama, some 15 kms away from Kohima, the capital city of India north eastern state of Nagaland on Saturday, 02 December 2017. The annual Hornbill Festival which celebrates from December 1-10 celebrates the cultural heritages of the Nagas. (Photo by Caisii Mao/NurPhoto)

आज से झारंखड के जमशेदपुर शहर में स्थित बिष्टुपुर क्षेत्र के गोपाल मैदान में आदि महोत्सव- राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव (Aadi Mahotsav – the National Tribal Festival) का आयोजन किया जा रहा है. जो कि पूरे दस दिनों तक चलेगा यानी 7 से 16 अक्टूबर तक और इस महोत्सव का उद्घाटन आज शाम को श्री अर्जुन मुंडा जी के द्वारा किया जाएगा.

महोत्सव में प्रवेश निःशुल्क होगा. जिसमें सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक हर दिन तरह-तरह के आयोजन होंगे.

क्या है आदि महोत्सव- राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव

आदि महोत्सव जनजातीय मामलों के मंत्रालय और ट्राइफेड (TRIFED) की एक वार्षिक पहल है.

जिसमें आदिवासी पारंपरिक कला, संस्कृति, शिल्प, पाक-कला, व्यंजन और व्यापार की संभावना से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. यह महोत्सव ट्राइफेड यानी आदिवासी सहकारी विपणन विकास महासंघ (Tribal Co-operative Marketing Federation of India) द्वारा आयोजित कराया जाता है.

यह एक वार्षिक महोत्सव जो समय-समय पर हर राज्य में होता है. जैसे कि यह महोत्सव देश की राजधानी दिल्ली में इस वर्ष फरवरी 16 से 27 फरवरी तक चला था और अभी यह वार्षिक महोत्सव झारखंड में होने जा रहा है.

वार्षिक महोत्सव में कौन शामिल होगा

ट्राइफेड की डीजीएम यानी उप महाप्रबंधक ममता शर्मा (Deputy general manager Mamta Sharma) ने बताया कि इस वार्षिक महोत्सव में विशेष रूप से पीवीटीजी यानी कमजोर जनजातीय समूह और वन धन केंद्र लाभार्थियों के साथ-साथ लगभग 336 जनजातीय कारीगर और कलाकार भाग लेंगे.

वार्षिक महोत्सव में कौनसी प्रदर्शनी लगोगी

उप महाप्रबंधक ममता शर्मा ने कहा है की क्योंकि वर्ष 2023 को इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स (International Year of Millets) को घोषित किया गया है. इसलिए इस वार्षिक महोत्सव में जनजातीय समुदाय द्वारा उगाये गये मोटे अनाज (मिलेट्स) का भी प्रदर्शन किया जायेगा और 150 से ज्यादा स्टॉलों पर कला, हस्तशिल्प, प्राकृतिक उत्पाद और स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध होंगे.

इसके साथ-साथ 120 स्टॉलों पर हस्तशिल्प, 20 स्टॉलों पर भारतीय ट्राइबल के व्यंजन और 30 अन्य स्टॉलों पर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया जायेगा.

आदिवासी महोत्सव के फ़ायदे

भारत एक बड़ा देश है और आदिवासी समुदाय दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं. इसलिए आदिवासी परंपराओं, संस्कृति और भाषा-बोली के बारे में मुख्यधारा का समाज बहुत कम जानता है.

इस तरह के आयोजन से आदिवासियों को ना सिर्फ़ अपने उत्पाद बेचने में मदद मिलती है बल्कि आदिवासियों और मुख्यधारा के समाज के बीच एक संवाद का अवसर भी पैदा होता है.

जब इस तरह के उत्सव आयोजित होते हैं तो आदिवासी कलाकारों, कारिगरों के साथ साथ नौजवान पीढ़ी को भी अपनी कला, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करने का मौका मिलता है.

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