आज बात करेंगे उन जनजातियों की जिन पर अंग्रेंजों ने बदनामी का ऐसा दाग लगा दिया था जो किसी सूरत मिटने को तैयार नहीं है. देश में आदिवासी कई मुश्किलों का सामना करते हैं. एक तरफ आर्थिक कठिनाइया हैं तो दूसरी तरफ सामाजिक भेदभाव है. देश के आदिवासियो के विकास के बड़े बड़े दावे अपनी जगह पर हैं, लेकिन सच्चाई तो यही है कि आदिवासियों के विकास की योजनाओं के लिे जिन प्राथमिक तथ्यों या आंकड़ों की ज़रुरत होती है वो आज भी सरकार के पास उपलब्ध नहीं है. मसलन पिछले ऐपिसोड में ही हमने चर्चा की थी की देश में आज तक यह तय नहीं हो पाया है कि आख़िर किन समुदायों को और किस मापदंड पर अनुसूचित जनजाति की सूचि में शामिल किया जा सकता है. इस तरह के कई सवालों पर प्रोफेसर वर्जिनियस खाखा कमेटी की रिपोर्ट विस्तार से बात करती है. इस सिलसिले में इस कमेटी की रिपोर्ट में उन जनजातियों का ज़िक्र भी आता है जिनके बारे में यह घोषित कर दिया गया था कि ये पेशवर अपराधी थे. आज़ादी से पहले इन जनजातीय समुदायों को बाकायदा सरकार ने अपराधी समुदाय घोषित किया था. आज़ादी के बाद उस कानून को निरस्त कर दिया गया लेकिन क्या इस कानून के निरस्त करने से इन जनजातियों के बारे में लोगों की धारणा बदली है. लोगों की धारणा ही क्यों क्या प्रशासनिक संस्थाओं ने अपनी राय और रवैया इन जनजातियों के प्रति बदला है
De-notified Tribes – बदनाम बस्तियाँ | XAXA Report episode – 2 | Main Bhi Bharat
