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बाघ के हमले में आदिवासी की मौत, इलाक़े में भय का माहौल

तेलंगाना के कुमारम भीम ज़िले में एक 60 साल के आदिवासी पर बाघ ने हमला कर दिया. इस हमले में इस बुजुर्ग आदिवासी की घटना स्थल पर ही मौत हो गई. यह घटना ज़िले के वनकिडी मंडल के गोंडापुर गाँव की बताई जा रही है.

इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार बाघ के हमले में जिस आदिवासी की मौत हुई है उसका नाम सिडम भीम था. इस इलाक़े से कुछ दिन पहले ही एक बाघिन और उसके तीन शावक देखे जाने की ख़बर आई थी. 

हालाँकि अभी तक प्रशासन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि सिडम भीम नाम के आदिवासी पर हमला इसी बाघिन ने किया है. लेकिन इस हमले के बाद से पूरे इलाक़े में भय का माहौल बना हुआ है. बाघ के हमले के डर से आदिवासी जंगल और अपने खेतों में जाने से बच रहे हैं. 

इस घटना के बारे में स्थानीय लोगों ने बताया है कि जब सिडम भीम अपने कपास के खेत में काम कर रहे थे, उसी समय बाघ ने उन पर हमला कर दिया था. बाघ ने उन्हें घसीट कर क़रीब 500 मीटर दूर तक ले गया. जब आस-पास जानवर चरा रहे लोगों ने जंगल में उनके चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो वो उस तरफ़ दौड़े थे.

बाघ इन लोगों के शोर को सुन कर सिडम को छोड़ कर जंगल में भाग गया. लेकिन जब तक इस आदिवासी को इलाज के लिए अस्पताल पहुँचाया जाता, उसकी मौत हो चुकी थी. इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने उस जगह का मुआयना किया है जहां यह हमला हुआ था.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि पहली नज़र में ऐसा लगता है कि यह हमला बाघ ने नहीं बल्कि किसी तेंदुए ने किया है. लेकिन फिर भी वहाँ से पंजों के निशान उठाए गए हैं और जाँच चल रही है. वन विभाग ने लोगों से कुछ दिन जंगल ना जाने को कहा है.

वन विभाग ने अभी आदिवासियों को जंगल में पशु चराने को भी मना किया है. दरअसल इस इलाक़े में ज़्यादातर आदिवासी जंगल पर ही निर्भर करते हैं. यहाँ के आदिवासी जंगल की ज़मीन पर ही पोडू खेती करते हैं. यह बताया जा रहा है कि सिडम भीम भी अपनी पोडू भूमि के सर्वे के लिए आने वाली टीम का इंतज़ार कर रहा था.

प्रशासन की तरफ़ से अभी तक मारे गए आदिवासी के परिवार के लिए किसी तरह की मदद की घोषणा का समाचार नहीं मिला है. 

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