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सीता सोरेन: कल्पना को नहीं हेमंत सोरेन को उत्तराधिकारी माना था

दुमका लोकसभा सीट को शिबु सोरेन परिवार की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाता है. क्योंकि यहां से खुद शिबु सोरेन यहां से 8 बार सांसद चुने गए हैं.

साल 2024 में यह सीट शिबु सोरेन की दो बहुओं के बीच जंग का मैदान बन गया है. यहां से उनकी बड़ी बहु सीता सोरेन लोकसभा चुनाव लड़ रही है. जबकि उनकी छोटी बहु यानि कल्पना सोरेन गांडेय से विधान सभा उप चुनाव लड़ रही हैं.

दोनों का चुनाव और चुनाव क्षेत्र काफी दूर-दूर है. लेकिन फिर भी झारखंड में उनके बीच मुकाबले की चर्चा हो रही है. क्योंकि शिबु सोरेन की बड़ी बहु ने चुनाव से तुरंत पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़ कर बीजेपी की सदस्यता और टिकट ले लिया है.

सीता सोरेन का कहना है कि हेमंत सोरेन को शिबु सोरेन ने अपना उत्तारधिकारी बनाया था. लेकिन हेमंत के जेल जाने के बाद पूरी पार्टी की कमान कल्पना सोरेन ने अपने हाथ में ले ली है.

उन्हें शिकायत है कि वे बड़ी बहु हैं और यह उनका अधिकार है कि हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद पार्टी की कमान उन्हें मिलनी चाहिए थे.

वे हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी के बाद कल्पना सोरेन को मिल रहे महत्व से बहुत नाराज़ हैं. सीता सोरेन और कल्पना सोरेन के बीच तनातनी अब खुले में है.

यह तनातनी इस हद तक पहुंच गई है कि जिस दिन सीता सोरेन ने दुमका लोकसभा सीट से नामांकन किया, उसी दिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन ने भी पर्चा दाखिल किया.

सीता सोरेन ने अपने नामांकन के दिन ही जनसभा भी की थी तो झारखंड मुक्ति मोर्च के नेता नलिन सोरेन की जनसभा भी उसी दिन हुई और वहां पर कल्पना सोरेन मुख्य वक्ता थीं.

मैं भी भारत के साथ बातचीत में सीता सोरेन ने अपने मन की बात खुल कर कह दी. आप यह पूरा इंटरव्यू उपर के लिंक पर देख सकते हैं.

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