मणिपुर में दो महीने से ज़्यादा समय से हिंसा हो रही है. कुकी और मैती समुदायों के बीच चल रही इस हिंसा में 100 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
इसके अलावा हज़ारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं. इस हिंसा का सबसे खराब असर बच्चों पर पड़ा है. उनके कोमल मन को ठेस लगी है. उनका स्कूल छूट गया है.
इस समय मणिपुर दो हिस्सों में बंट गया है. जिन इलाकों में मैती और कुकी मिल कर रहते थे, अब बस किसी एक ही समुदाय के घर बचे हैं.
आखिर इस हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है. उससे भी ज़रूरी सवाल है कि इस हिंसा का समाधान क्या है? हिंसा के इस दौर में जब लोग आर-पार की बात कर रहे हैं, राज्य में कुछ लोग हैं जो शांति की बात कर रहे हैं. वे अपने समुदाय के स्वार्थ से उपर उठ कर इंसानियत और मणिपुर को बचाने के लिए काम कर रहे हैं.
आशाबाला उन्ही लोगों में से एक हैं.