असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के 6 समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची (6 communities in ST list) में शामिल करने की सिफ़ारिश का अनुमोदन कर दिया है.
यह रिपोर्ट मंत्रियों के एक समूह ने तैयार की है. इस रिपोर्ट में चुटिया (Chutia), कोच राजबंशी (Koch Rajbogshi), मटक (Matak), मोरान ताई अहोम (Tai Ahom) और चाय बागानों के आदिवासी समुदायों (Tea Tribes) को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की सिफ़ारिश की गई है.
सरकार की तरफ से यह बताया गया है कि इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. अब इस प्रस्ताव को विधान सभा में पेश किया जाएगा. विधान सभा से प्रस्ताव पास होने के बाद उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया जाएगा.
उधर राज्य के कई जनजातीय समूहों ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है. इन समूहों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) प्रमुख है. इस संगठन के लोगो ने कल यानि गुरूवार को कोराझार में एक विरोध प्रदर्शन किया.
इस विरोध प्रदर्शन में बोडो और राभा जनजातीयों के कई अन्य संगठन भी शामिल हुए. कोकराझार स्थिति बोडोलैंड विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है.
इन सभी संगठनों का कहना है कि यदि सरकार 6 अन्य समूहों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का फैसला लागू करती है तो राज्य के जनजातीय समुदायों की पहचान और अधिकार प्रभावित होंगे.
बीजेपी सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रहा ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) कुछ महीने पहले तक उसका सहयोगी था. ये दोनों ही पार्टी मिलकर बोडोलैंड स्वायत्त परिषद चला रहे थे.
असम के जिन 6 समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पास हुआ है, उन्हें बीजेपी पिछले दो विधान सभा चुनाव में एसटी लिस्ट (ST List) में शामिल करने का वादा कर चुकी है.
अब राज्य में एक और विधान सभा चुनाव में दो-तीन महीने ही बचे हैं, बीजेपी ने एक बार फिर इन समुदायों में यह उम्मीद जगाई है कि उन्हें अंतत जनजाति का दर्जा मिल जाएगा.

