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असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा की जनजातियों की आकांक्षाओं से जुड़ा बिल 6 साल से क्यों लटका है

भारत सरकार ने असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाली स्वायत्त परिषदों को सशक्त बनाने के विचार को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है.  बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बरो ने 28 जनवरी 2025 को यह बात एक मीडिया इंटरव्यू में कही है. 

वे संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019 (Constitution (125th Amendment) Bill, 2019) के बारे में बात कर रहे थे. 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी कहा कि असम सरकार इस संशोधन का समर्थन कर रही है. उन्होंने यह उम्मीद जताई है कि इस बजट सत्र इस बिल पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा. 

इससे पहले दिसंबर 2024 यानि संसद के शीतकालीन सत्र में त्रिपुरा से टिपरामोथा के संस्थापक प्रद्योत किशोर माणिक्य ने इस बिल के सिलसिले में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की थी. 

प्रद्योत किशार की बहन और बीजेपी की सांसद किर्ती देबबर्मा इस मुलाक़ात में उनके साथ मौजूद थीं. संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019 को जल्दी से जल्दी संसद से पास कराने के लिए उन्होंने गृहमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा था. 

यह बिल संविधान की अनुसूचि 6 (Sixth Schedule of the Constitution) के तहत बनी स्वायत्त जनजातीय ज़िला परिषदों की वित्त, कार्यकारी और प्रशासनिक शक्तियां बढ़ाने का प्रावधान करता है. 

संविधान की अनुसूचि 6 में जनजातीय जनसंख्या को विशेष संरक्षण प्रदान करने के लिए स्वायत्त जनजातीय ज़िला परिषदों का प्रावधान है. इसके तहत फ़िलहाल असम, मेघालय और मिज़ोरम में 3-3 और त्रिपुरा में एक स्वायत्त जनजातीय ज़िला परिषद मौजूद है. 

संविधान (एक सौ पच्चीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 को 6 फरवरी 2019 को तत्कालीन गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था. य

इस बिल में भारत की छठी अनुसूची के तहत असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों में ग्राम और नगरपालिका परिषदों के गठन, वित्त आयोग की सिफारिशों तथा चुनावी प्रक्रियाओं से संबंधित महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं. 

इस विधेयक को गृहमंत्रालय की स्थायी समिति (Standing Committee on Home Affairs) को भेज दिया गया था. 5 मार्च 2020 को स्थाई समिति ने इस बिल पर अपनी रिपोर्ट संसद को सौंप दी थी.

गृह मंत्रालय की स्थायी समिति ने इस बिल पर अपनी रिपोर्ट में पाया कि एडीसी (Autonomous District Councils) में फंड की कमी है. इससे क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया में बाधा आ रही है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की कि राज्य वित्त आयोग को राज्य और जिला परिषदों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण करते समय एडीसी के लिए फंड निर्धारित करना चाहिए.

छठी अनुसूची असम में उत्तरी कछार और कार्बी आंगलोंग में एडीसी को कृषि, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित कुछ विषयों के संबंध में कानून बनाने का अधिकार देती है. इस सिलसिले में संशोधन विधेयक इस सूची का विस्तार करते हुए भूमि सहित विभिन्न अन्य विषयों पर कानून बनाने की शक्तियों को शामिल करता है. 

इस संदर्भ में, असम सरकार ने विधेयक में एक अपवाद के लिए अनुरोध किया ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि राज्य सरकार के पास सरकारी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने की शक्ति होगी. 

स्थायी समिति ने इस सिलसिले में सुझाव दिया कि मंत्रालय राज्य सरकार, परिषदों और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ इस प्रावधान पर आम सहमति बनाए. इसने आगे सुझाव दिया कि मंत्रालय को मिजोरम और त्रिपुरा में एडीसी को इन विषयों पर कानून बनाने की शक्तियों के हस्तांतरण पर विचार करना चाहिए.

इस बिल में क्या संशोधन प्रस्तावित हैं – 

संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019, भारत के जनजातीय प्रशासन में एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम है.लेकिन, छह वर्षों से संसद में पारित न हो पाने के कारण यह विधेयक केवल एक दस्तावेज बनकर रह गया है. अफ़सोस की बात ये है कि इस बिल की समीक्षा करने के बाद गृहमंत्रालय की स्थायी समिति भी 5 साल पहले अपनी रिपोर्ट दे चुकी है फिर भी यह बिल लटका हुआ है.

असम,मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा में जनजातीय संगठन यह उम्मीद करेंगे कि कल से शुरू हो रहे बजट सत्र में यह संशोधन बिल पास हो जाए.  

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