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हेमंत सोरेन को ज़मानत की लड़ाई में कल्पना सोरेन कोर्ट में डटी, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

Hemant Soren Bail Plea News|झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में 13 जूनको फिर से सुनवाई हुई. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट में सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं. आज ईडी के वकील की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

गांडेय विधानसभी सीट से उपचुनाव जीतने वाली हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन आजकल पूरा समय हेमंत सोरेन की ज़मानत से जुड़ी कोर्ट की कार्रावाई में दे रही हैं. हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने एक दिन पहले अपनी दलील रखी थी. 

उन्होंने बार-बार कहा कि यह पूरी तरह से जमीन विवाद का मामला है. यहां तक कि यह आपराधिक कृत्य भी नहीं है. कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि हेमंत सोरेन को जबरन इस मामले में फंसाया गया है. उनकी गिरफ्तारी भी गलत है. केंद्रीय जांच एजेंसी यानि प्रवर्तन निदेशालय (ED) जबरन यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि जमीन पर हेमंत सोरेन का कब्जा है.

जब कपिल सिब्बल अदलात में जिरह कर रहे थे तब भी कल्पना सोरेन अदालत में मौजूद थीं. रांची में मौजूद शिबु सोरेन के पारिवारिक मित्रों में शुमार झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेता ने हमें बताया जब से अदालत में हेमंत सोरेन की सुनवाई शुरू हुई है, कल्पना सोरेन ने किसी को भी मिलने का समय नहीं दिया है.

उन्होंने बताया कि कल्पना सोरेन काफ़ी परेशान और चिंतित महसूस कर रही हैं. 

बड़गाईं अंचल में कथित जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के वकील ने जस्टिस मुखोपाध्याय की अदालत में अपने मुवक्किल को नियमित जमानत देने की मांग की. दूसरी तरफ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील एसवी राजू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन को जमानत दिए जाने का विरोध किया. 

कपिल सिब्बल की इन दलीलों का आज ईडी के वकील ने जोरदार विरोध किया. कहा कि यह जमीन हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नाम पर ही है. जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करके वह इस जमीन के मालिक बन बैठे. इसलिए उनको जमानत नहीं मिलनी चाहिए.

एसवी राजू ने यह भी दलील दी कि झारखंड हाईकोर्ट में आरोपी ने याचिका दाखिल कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. लेकिन, कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को सही माना था.

हाईकोर्ट की ओर से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को वैध ठहराये जाने के आधार पर उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए. बता दें कि हेमंत सोरेन ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

जहां उनके वकील कपिल सिब्बल को जज ने तथ्य छिपाने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी. साथ ही कहा था कि वह उनकी याचिका रद्द करने जा रहे हैं. इसके बाद कपिल सिब्बल ने अपनी याचिका वापस ले ली थी. सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सोरेन की ग़ैरमौजूदगी में ही लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में पार्टी के प्रचार की कमान कल्पना सोरेन ने ही संभाली थी.

यह माना जा रहा है कि कठिन परिस्थितियों में कल्पना सोरेन ने साबित किया है कि उनमें नेतृत्व क्षमता मौजूद है. 

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