केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PM JANMAN) को अब साल 2027 तक बढ़ाने का महत्वपूर्ण फ़ैसला लिया है. मूल रूप से यह योजना 2025 तक लागू की जानी थी.
इस योजना के दायरे, लक्ष्य और अब तक के असर को देखते हुए इसकी अवधि दो साल और बढ़ा दी गई है. प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PM JANMAN) 75 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) तक मूलभूत सुविधाएँ पहुँचाने के लिए शुरू किया गया था.
केंद्र सरकार ने यह माना है कि पीएम जनमन योजना की वजह से कई राज्यों के आदिवासी इलाकों में जमीनी स्तर पर ठोस बदलाव शुरू हुए. लेकिन यह सभी बदलाव अभी अधूरे हैं.
कई राज्यों ने केंद्र को यह साफ़ साफ़ कहा कि दो साल में पीएम जनमन का लक्ष्य हासिल करना मुमकिन नहीं है. केंद्र सरकार ने इस तरह के फीडबैक को देखते हुए इस योजना को लागू करने का समय बढ़ाया है.
PM JANMAN के तहत PVTG बस्तियों में मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की तैनाती पीने के पानी, पक्के घर, बिजली और सड़क निर्माण और आजीविका प्रशिक्षण,
जैसे काम करने की अपेक्षा है.
इस सिलसिले में पता चला है कि ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने केंद्र से आग्रह किया था कि काम की गति और चुनौतियों को देखते हुए समय बढ़ाया जाए.
देश के सामाजिक और आर्थिक तौर पर सबसे पिछड़े आदिवासी समुदायों के लिए शुरू की गई PM JANMAN योजना के लिए ₹24,000 करोड़ का बजट निर्धारित है. लेकिन यह भी जानकारी मिली है कि अभी तक इस बजट का बड़ा हिस्सा ख़र्च ही नहीं हो पाया है.
सरकार की तरफ से इस बारे में कोई स्पष्ट आंकड़े नहीं दिये गए हैं कि पीएम जनमन के कुल 24000 करोड़ रुपए में से कितना पैसा अभी तक ख़र्च किया गया है.
पीएम के तहत इन 11 ज़रूरी क्षेत्रों पर विशेष काम किया जा रहा है—
- सुरक्षित आवास
- स्वच्छ जल
- स्वास्थ्य और पोषण
- शिक्षा और छात्रावास
- सड़क और कनेक्टिविटी
- बिजली
- मोबाइल नेटवर्क
- आजीविका और कौशल प्रशिक्षण
- जंगल आधारित अर्थव्यवस्था (MFP)
- महिलाओं के लिए सपोर्ट समूह
- सांस्कृतिक और भाषाई संरक्षण
भारत में 75 PVTGs, 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में फैले हुए हैं. कई समूह घने जंगलों, पहाड़ी इलाकों या अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं. इन समूहों में से कई ऐसे हैं जिनके लुप्त हो जाने का ही ख़तरा बताया जाता है.
मसलन अंडमान निकोबार के ग्रेट अंडमानी, ओंग या शोम्पेन या फिर झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के बिरहोर जैसे आदिवासी समुदाय इसी श्रेणी में रखे जाते हैं.
इन सभी बातों को ध्यान में रख कर ही पीएम जनमन योजना को एक स्पष्ट फोकस के साथ शुरू किया गया था. लेकिन अफ़सोस यह योजना भी बेअसर होने की दिशा में बढ़ रही है.
इससे पहले सरकार ने साल 2018-19 में वादा किया था कि वह देश के हर आदिवासी बहुल ब्लॉक में 2022 तक कम से कम एक एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल शुरु करेगी.
सरकार ने इस घोषणा को पूरा करने के लिए 48000 रुपए ख़र्च करने का लक्ष्य रखा था. लेकिन यह घोषणा अभी तक ज़मीन पर पूरी तरह से लागू नहीं हुई है.
इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य पहले 2022 से बढ़ा कर 2025 तक का रखा गया था. लेकिन यह साल भी ख़त्म हो चला है लेकिन योजना अभी भी अधूरी है.

