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सीएए (CAA 2019) को त्रिपुरा जनजातीय इलाक़ों में लागू नहीं होने दिया जाएगा – प्रद्योत किशोर

नागरिकता संशोधन कानून 2019 (The Citizenship (Amendment) Act, 2019) को त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होने दिया जाएगा. त्रिपुरा की राज्य सरकार में शामिल टिपरा मोथा पार्टी के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर माणिक्य ने यह बात कही है.

अपने समर्थकों के नाम जारी एक ऑडियो संदेश में उन्होंने कहा है कि त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में संविधान की अनुसूचि 6 के तहत स्वायत्त परिषद का गठन किया गया है. उनके अनुसार इन इलाकों में नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 को अनुसूचि 6 क्षेत्रों में लागू नहीं किया जा सकता है. 

प्रद्योत किशोर ने अपने समर्थकों के नाम जारी संदेश में कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून, 2019 पर उनकी राय बिलकुल स्पष्ट है. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं से कहा है कि वे त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून, 2019 को लागू करने के किसी भी प्रयास का पुरज़ोर विरोध करें. 

त्रिपुरा राज्य सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति और जिला स्तरीय समिति (the State Level Empowered Committee and the District Level Committee) में अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए थे.

इस अधिनियम ने देश भर में महत्वपूर्ण बहस की शुरूआत की है. इस बहस के बीच केंद्र सरकार ने इस क़ानून को लागू करने का फ़ैसला किया है.

सरकार में शामिल होने का मतलब ख़ामोशी नहीं है

टिपरा मोथा चीफ़ प्रद्योत किशोर माणिक्य ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम जारी संदेश में कहा है कि सरकार में शामिल होने का मतलब जनता के सवालों पर ख़ामोश होना नहीं है. यह कहते हुए अपनी पार्टी के नेताओं से कहा है कि सरकार में उनके दो मंत्री बन जाने से लोगों के मुद्दे हल नहीं होंगे.

उन्होंने कहा कि लोग पानी के लिए तरस रही हैं और यह पार्टी कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारी है कि उनकी समस्या को प्रशासन के सामने उठाएं. 

लोकसभा चुनाव के बाद आया बयान

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रद्योत किशोर माणिक्य से यह सवाल बार-बार पूछा गया था कि नागरिकता संशोधन क़ानून 2019 पर उनकी राय क्या है. लेकिन वे इस सवाल को लगातार टालते रहे थे.

लेकिन यह एक ऐसा सवाल है जो त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों में राजनीति को पलट सकता है. क्योंकि राज्य के जनजातीय समुदाय यह मानते हैं कि बांग्लादेशी प्रवासियों की वजह से आज वे राज्य में अल्पसंख्यक बन चुके हैं. अगर सीएए लागू होता है तो फिर जनजातीय ईलाकों में बांग्लादेश से आए हिंदूओं का बसने का रास्ता खुल सकता है.

दरअसल प्रद्योत किशोर की पार्टी टिपरा मोथा लोकसभा चुनाव से तुरंत पहले सरकार में शामिल हो गई थी. इसके साथ ही प्रद्योत किशोर ने अपनी बहन को बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ाने का फ़ैसला किया था. 

इसके बाद यह सुनने में आ रहा था कि टिपरा मोथा के भीतर नेताओं में प्रद्योत किशोर के प्रति नाराज़गी बढ़ रही थी. लोकसभा चुनाव से पहले टिपरा मोथा जनजातीय भाषा और स्वायत्त ज़िला परिषद (TTADC) के लिए फंड के सवाल पर लगातार सड़कों पर प्रदर्शन कर रही थी.

लेकिन सरकार में शामिल होने के बाद इन सभी सवालों पर ख़ामोशी देखी गई थी. ऐसा माना जा सकता है कि सीएए पर जनजातीय इलाकों में बढ़ते असंतोष को रोकने के प्रयास में प्रद्योत किशोर ने यह ताज़ा बयान जारी किया है. 

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