खासी छात्र संघ (केएसयू) ने गुरुवार को राज्य आरक्षण नीति विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री मूलचंद गर्ग को समिति के सचिव के माध्यम से एक पत्र भेजा है.
केएसयू स्थापना के बाद से ही खासी जनजाति के कल्याण और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है.
मूल चंद गर्ग की अध्यक्षता वाली समिति ने मेघालय राज्य में आरक्षण नीति पर परामर्श मांगने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था. इस नोटिस का उद्देश्य राज्य में आरक्षण नीति के संशोधन के बारे में राज्य के लोगों से प्रतिक्रिया प्राप्त करना था.
इस नोटिस के बाद खासी छात्र संघ ने राज्य की वर्तमान आरक्षण नीति में संशोधन को लेकर एक पत्र लिखा है.
इस पत्र में क्या कहा गया है?
इस पत्र में केएसयू ने लिखा है कि भारत के संविधान के अनुसार मेघालय में राज्य और जिला स्तर सरकारी नौकरियों में गारो जनजाति और खासी-जयंतिया जनजाति को 40 प्रतिशत, अन्य अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है.
ऐसे में राज्य सरकार को गारो और खासी-जयंतिया अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण के प्रावधान में बदलाव करते समय किसी विशेष जनजाति की कुल जनसंख्या को ध्यान में रखना चाहिए.
2011 की जनगणना के अनुसार मेघालय राज्य में लगभग 14.1 लाख खासी-जयंतिया आबादी के लोग हैं तो वहीं 8.21 लाख से कुछ अधिक गारो आदिवासी हैं इसलिए सभी समुदायों को समान अवसर देने के लिए राज्य की आरक्षण नीति में संशोधन की ज़रुरत है.
केएसयू ने सुझाव दिया है कि राज्य स्तर पर रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए खासी-जयंतिया के लिए 50% आरक्षण, गारो समुदाय के लिए 40% और अन्य अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों और अनारक्षित वर्ग के लिए पाँच – पाँच प्रतिशत के हिसाब से पदों पर भर्ती की जानी चाहिए.
केएसयू ने यह भी प्रस्ताव दिया कि गारो, खासी-जयंतिया के पक्ष में 90% पदों का संयुक्त आरक्षण भी किया जा सकता है. और ऐसे पदों के लिए चयन करते समय जिले में स्थायी तौर पर रह रहे अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
यानि कि गारो हिल्स में खासी-जयंतिया समुदाय से संबंधित किसी भी इच्छुक उम्मीदवार की अनुपस्थिति में 90% का संयुक्त आरक्षण गारो को उपलब्ध करवाया जाए. इसी तरह खासी-जयंतिया हिल्स में, गारो समुदाय से संबंधित किसी उम्मीदवार की अनुपस्थिति में 90% का संयुक्त आरक्षण खासी-जयंतिया को उपलब्ध हो.