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आदिवासी समुदायों में ढुकु प्रथा (लिवइन) कैसे एक बुराई बन गया

गुमला शहर से करीब तीन किलोमीटर दूर हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी की तराई में बसा है झारखंड का एक छोटा सा गाँव – तेलगांव

2 मार्च को इस गाँव में चहल-पहल और नाचने गाने का माहौल बना हुआ था. इस गांव के अखड़ा से दुल्हों को गाज़े-बाज़े के साथ मंडप में लाया जा रहा था.

इस बारात में दुल्हों की कुल संख्या 100 से ज़्यादा है. दरअसल यह 101 जोड़ों के सामूहिक विवाह का अवसर है. ये वो जोड़े हैं, जो वर्षों से साथ तो रह रहे हैं, लेकिन उनका विवाह सामाजिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों से नहीं हुआ.

हम भी इस सामूहिक विवाह समारोह में शामिल थे. हम यह जानते थे कि आदिवासी समुदायों में कई तरह की विवाह पद्धिति मौजूद हैं, लेकिन सामूहिक विवाह पद्धति का ज़िक्र कम ही मिलता है, क्या आदिवासी परंपराएं और सामाजिक मान्यताएं बदल रही हैं…हम यह समझना चाहते थे.

हमने क्या देखा और क्या समझा देखिए यह रिपोर्ट

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