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मणिपुर में संगीनों के साये में जीने की मजबूरी, कब तक?

मणिपुर में तीन महीने से हिंसा चल रही है. आगजनी, हत्या, बलात्कार, अपहरण के दिल दहला देने वाले हज़ारों अपराध इस दौरान हुए हैं.

3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा में आगजनी की वारदातें सबसे ज़्यादा दर्ज की गई हैं. सरकार के आंकड़ों के अनुसार कम से कम 5000 घर इस हिंसा के दौरान जला दिये गये हैं.

ज़ाहिर है बड़ी तादाद में लोग बेघर हुए हैं और उन्हें अपने रिश्तेदारों या रिलीफ़ कैंपों में शरण लेनी पड़ी है. जिन लोगों की संपत्ति इस हिंसा में जला दी गई है उन्हें अभी तक सरकार की तरफ से कोई वित्तीय मदद नहीं मिली है.

सच तो यह है कि मणिपुर में अभी जो हालात हैं उसमें इस हिंसा में बेघर हुए लोगों की मदद करना संभव भी नहीं है. क्योंकि राज्य में अभी भी गृहयुद्ध जैसे हालात हैं. दोनों तरफ हथियारबंद लड़ाई चल रही है.

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