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जोड़ीदारी या द्रोपदी प्रथा क्या आज भी हाटी जीवन की ज़रूरत है

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले की शिलाई तहसील के गाँव कुसेणु को दूर से देख कर लगता है कि यह कोई तीर्थ स्थल है. यहाँ हाटी आदिवासी समुदाय के लोग रहते है. हम उनकी सामाजिक, धार्मिक व्यवस्था और जीविका के साधनों को समझने के सिलसिले में उनके गाँवों में घूम रहे हैं.

आज हम उनकी सामाजिक व्यवस्था के एक अहम पहलू को समझने की कोशिश में इस गाँव पहुँचे थे. इस समाज में प्रचलित एक प्रथा है जो इनके परिवार की बनावट से जुड़ी है. परिवार की बनावट के साथ साथ यह उनके जीवन की आर्थिक गतिविधियों या जीविका से भी वास्ता रखती है. शाम ढले जब हम इस गाँव पहुँचे तो परंपरागत गीत-संगीत से हमारा स्वागत हुआ

इस गाँव में हम ज्योति और विक्रम के घर उनसे मिलने पहुँचे. ज्योति इस घर की नई बहु है. घर का काम करते हुए भी उसके नए कपड़ों से इस बात का अंदाज़ा लगाने में मुश्किल नहीं होती है. विक्रम के बड़े भाई से ज्योति की शादी हुई है. उनके बड़े भाई रोज़ी रोटी के सिलसिले में बाहर गए हुए हैं.

उनकी ग़ैर मौजूदगी में विक्रम ज्योति का पूरा ख़्याल रखते हैं. शायद उनके बड़े भाई ज्योति का इतना ख़्याल नहीं रख पाते जितना विक्रम रखते हैं. विक्रम ज्योति को बहुत प्यार करते हैं और ज्योति भी विक्रम पर जान छिड़कती है.

यह प्यार बिलकुल वैसा ही है जैसा विक्रम के भाई और ज्योति का है. जी हाँ आप सही पढ़ और समझ रहे हैं. ज्योति के लिए विक्रम की जगह वही है जो विक्रम के बड़े भाई की है. ज्योति शर्मा ने विक्रम और उनके बड़े भाई दोनों से ही शादी की है. दोनों ही उसके पति हैं…जोड़ीदार हैं.

हाटी समुदाय की इस प्रथा के इतिहास, वर्तमान और संभावित भविष्य को समझने के लिए आप उपर वीडियो को इत्मीनान से देखें.

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